E Waste क्या है और इसे कैसे Control करें? पूरी जानकारी

दोस्तों नमस्कार आज हम बात करेंगे E-Waste Kya Hai. बदलते हुए जमाने में इतने सारे electronic products बाजार में उपलब्ध हैं की आप खरीदते हुए थक जाएंगे। E Waste क्या है आप खुद सोचिए की आज तक आपके घर में कितने सारे electric devices खरीदे जा चुके हैं। और उसमें से कितने अभी तक ठीक से काम कर रहे हैं।

आपके जो device खराब हो गए उनका आपने क्या किया। आपने उसे फेंक दिया होगा और उसके बाद उसका क्या हुआ ये तो आपको बिल्कुल भी पता नहीं होगा। यहीं से ई-कचरा का जन्म होता है। इसलिए हम इस लेख में जानेंगे की ई-कचरा क्या होता है और इससे हमारे वातावरण पर क्या असर होता है।

ई-कचरा में कुछ ऐसे खतरनाक तत्व होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं और इनसे काफी खतरनाक बीमारियाँ भी होती हैं। इसलिए ई-कचरा कम करने के तरीकों के बारे में भी जानेंगे।

E Waste क्या है और इसे कैसे Control करें? पूरी जानकारी
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E-waste Full Form Hindi

E-waste का फुलफॉर्म Electronic Waste और हिंदी में ई – कचरा का मतलब इलेक्ट्रॉनिक कचरा है। इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-वेस्ट) एक शब्द है जिसका उपयोग सभी प्रकार के त्याग किए गए विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और इसके भागों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। यह किसी भी घरेलू या व्यावसायिक वस्तु से युक्त हो सकता है जिसमें सर्किटरी या बिजली के घटक जैसे मोबाइल सेल फोन, कंप्यूटर, टीवी, इलेक्ट्रिक लैंप और बैटरी शामिल हैं। ई-कचरे में ऐसी सामग्रियां होती हैं जो खतरनाक होती हैं, जो उनकी स्थिति और घनत्व पर निर्भर करती है और पर्यावरण की बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है। इनमें से कई उत्पादों को पर्यावरण की दृष्टि से पुनर्नवीनीकरण, पुन: उपयोग या नवीनीकरण किया जा सकता है ताकि वे पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हों।

Full Form of E-waste in Hindi
परिभाषा: Electronic Waste
हिंदी अर्थ: इलेक्ट्रॉनिक कचरा
श्रेणी: Academic & Science » Electronics

 

ई कचरा क्या है (E-Waste in Hindi)

E waste का full form है Electronic wastes. ये उन electronic goods को refer जिन्हें हम कभी इस्तमाल किया करते थे अपने सुविधा के लिए लेकिन वो अब ख़राब हो जाने से उन्हें अब हम और इस्तमाल नहीं करते हैं।

प्रतिवर्ष करीब 50 million ton का e-wastes पूरी दुनिया में पैदा होता है. यदि ठीक तरीके से उनका disposal या recycle नहीं हुआ तब ये भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है. चूँकि technology में काफी advancement हो रही है इसलिए पुरानी devices नए के आने से obsolete हो जाते हैं. E-waste हमारे किसी भी electrical या electronic सामान जैसे की : computers, TVs, monitors, cell phones, PDAs, VCRs, CD players, fax machines, printers, इत्यादि से बनते हैं.

प्राय electronics अगर उन्हें सही तरीके से disposed नहीं किया गया तब वो बहुत से harmful materials जैसे की beryllium, cadmium, mercury और lead जैसे produce करते हैं. ये materials खुद decompose तो नहीं होते हैं बल्कि ये हमारे पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरते हैं. इसलिए इनका सही और efficient रूप से recycle करना बहुत ही जरुरी है.

ई-वेस्ट क्या है?

जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लम्बे समय तक प्रयोग करने के पश्चात उसको बदलने/खराब होने पर दूसरा नया उपकरण प्रयोग में लाते हैं तो इस निष्प्रयोज्य खराब उपकरण को ई-वेस्ट कहा जाता है। E Waste क्या हैजैसे कम्प्यूटर, मोबाईल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी/टेलीविजन, रेडियो/ट्रांजिस्टर, डिजिटल कैमरा आदि। विश्व में लगभग 200 से 500 लाख मी. टन ई-वेस्ट जनित होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में भारत में जनित ई-वेस्ट की कुल मात्रा 1.47 लाख मी. टन थी। जो कि वर्ष 2012 में बढ़कर लगभग 8 लाख मी. टन हो गई है। जिससे विदित है कि भारत में जनित ई-वेस्ट की मात्रा विगत 6 वर्षों में लगभग 5 गुनी हो गई है तथा इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है।

ई-कचरा के मुख्य स्रोत क्या हैं

वैसे तो E Waste के बहुत सारे स्रोत हैं लेकिन हमारी समझ के लिए उन्हें मुख्य रूप से 3 categories में classify किया जाता है. जो की कुछ इसप्रकार हैं : –

1. White Goods
2. Brown Goods
3. Grey Goods

White Goods:
इसके अंतर्गत घर में स्तिथ household materials जैसे की air conditioners, washing machines और air conditioners आते हैं.

Brown Goods:
वहीँ इसके अंतर्गत televisions, Cameras, इत्यदि आते हैं.

Grey Goods:
इसके अंतर्गत computers, scanners, printers, mobiles phones इत्यदि आते हैं.

E-Waste Generation के मुख्य कारण क्या हैं

बढती आबादी जिसके कारण बढती जरूरतें एक बहुत बड़ा कारण है E Waste के पैदा होने का. इसके अलावा कुछ ऐसे और भी कारण हैं E Waste क्या है जो की मिलकर इसे एक बहुत बड़ा खतरा बना रहे हैं. वो कहते हैं न की किसी भी चीज़ का अत्यधिक होना अपने आप में एक disaster होता है. तो चलिए ऐसे ही कुछ मुख्य कारणों के ऊपर चलिए गौर करते हैं –

1. Development :

अगर हम अभी की बात करें तब, तब ये estimate किया जा सकता है की इस दुनिया में करीब 1 billion से भी ज्यादा personal computers मेह्जुद हैं. वहीँ developed countries में इनकी average life span केवल 2 years की ही होती है।

केवल United States (अमरीका) में ही करीब 300 million से भी ज्यादा computers ऐसे ही पड़े हुए हैं. केवल developed countries ही नहीं अभी तो developing countries में भी इस technology का काफी sales हुआ है जिसके चलते इनके graph में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो की आगे चलकर wastage का रूप ले रही है. सूत्रों से ये पता चला है की computers की बिक्री और internet का usage करीब करीब 400% से भी ज्यादा बढ़ चूका है developing countries में।

इस अचानक हुए बढ़ोतरी से इनके द्वारा पैदा होने वाले e waste की भी बढ़ोतरी हुई है. इससे एक बात तो साफ़ नज़र आ रही है की जिस हिसाब से ये Computer industry development के नाम पर इतनी ज्यादा बढ़ रही है ऐसे में अगर इसके e waste के ऊपर अगर सोचा नहीं गया तब ये भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है.

2. Technology :

अब ये तो modern technology का समय है जिसके चलते technology is lightning fast speed से बढ़ रही है. इस नयी technology के चलते नए products और appliances market में आ रहे हैं. जिससे की लोग अब और पुराने चीज़ों को ख़राब न हुए होते हुए भी इस्तमाल नहीं करना चाहते हैं।

इन सबके पीछे जिनका हाथ है वो हैं बड़े बड़े MNC’s (Multinational corporations). अब से MNC’s इतने ज्यादा powerful हो गए हैं की वो किसी देश के पुरे market system को भी बदल सकने की capacity रखते हैं. ये MNC’s ही हैं जो की हमेशा लोगों को बेहतर technology प्रदान करते हैं।

अभी Middle Class families के पास अच्छा पैसा हो जाने से वो हमेशा नयी proucts के पीछे पड़े हुए हैं जिससे companies हमेशा उनकी quality को बढ़ा रहे हैं जिससे उनकी ज्यादा बिक्री हो. ऐसे में अगर इसके e-waste in hindi के ऊपर अगर सोचा नहीं गया तब ये भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है.

3. Human Mentality :

ये Common people (आम आदमी middle class) को ज्यादा money power प्रदान कर रहा है जिसके चलते वो ज्यादा चीज़ें खरीदने के लिए काबिलियत प्रदान करता हैं. उदहारण के लिए computer के बिक्री में बढ़ोतरी होना, यदि उसे सही तरीके से लम्बे समय तक इस्तमाल नहीं किया गया तब ये आख़िरकार E Waste ही बन जाता है।

इस money power के चलते लोग अभी अपने पुराने चीज़ों के बदले नयी चीज़ें इस्तमाल करना ज्यादा चाहते हैं और ये older materials बाद में e-waste बन जाते हैं.

4. Population :

बढती population के चलते सभी चीज़ों की रफ़्तार काफी बढ़ गयी है. ये एक आसान तरीके unitary method से समझा जा सकता है. अगर 1 आदमी भी एक सामान खरीदता है और ऐसे में अगर सभी खरीदें तो क्या होगा।

इससे हम ये निष्कर्ष निकाल सकते हैं की बढती आबे से e waste की मात्रा भी काफी बढ़ गयी है. बढती आबादी चीज़ों की reuse करने के बदले में हमेशा नयी चीज़ें खरीदने को ज्यादा चाहती है. ऐसे में अगर इसके e-waste in hindi के ऊपर अगर सोचा नहीं गया तब ये भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है.

ऐसे में ये सभी कारण आपस में interlinked हैं एक दुसरे के साथ और मिलकर ये बहुत बड़ा environmental concern सृष्टी करते हैं e waste के रूप में.

हर वर्ष दुनिया में कितना उत्पन्न होता है इलेक्ट्रॉनिक कचरा?

संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में करीब 5.36 करोड़ मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न हुआ था जोकि 2030 में बढ़कर 7.4 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच जाएगा। 2019 में अकेले एशिया में सबसे ज्यादा 2.49 करोड़ टन कचरा उत्पन्न हुआ था। इसके बाद अमेरिका में 1.31 करोड़ टन, यूरोप में 1.2 करोड़ टन, अफ्रीका में  29 लाख टन और ओशिनिया में 7 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट उत्पन्न हुआ था। अनुमान है कि केवल 16 वर्षों में यह ई-वेस्ट लगभग दोगुना हो जाएगा।

कचरा (E-Waste) दुनिया में क्यों बढ़ रहा है ?

दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक कचरे के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खपत है। आज हम तेजी से इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को अपनाते जा रहे हैं। इन उत्पादों का आयु बहुत कम होती है इसलिए इसे बेकार होने पर जल्द ही फेंक दिया जाता है।

जैसे ही कोई नयी टेक्नोलॉजी आती है तो पुराने को फेंक दिया जाता है। इसके साथ ही कई देशों में इन उत्पादों की मरम्मत की बहुत कम व्यवस्था है और है भी तो बहुत महँगी है। ऐसे में जैसे ही कोई इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद खराब होता है तो लोग इसे ठीक कराने की बजाय बदलना ज्यादा पसंद करते हैं।

जिसकी वजह से भी ई-कचरा (E-Waste) में बढ़ोत्तरी हो रही है। मनुष्य की जीवन शैली में तकनीक के आगमन से हुए बदलाव ही ई-कचरे(E-Waste) की उत्पत्ति और बढ़ने के प्रमुख कारण है।

ई कचरा का प्रभाव Environment के ऊपर

E-waste, या electronic waste, उन waste को कहा जाता है जो की कोई भी electronics पार्ट्स हो सकती हैं computers, mobile phones, से household electronics जैसे की food processors, pressure, cookers तक.

हमें अभी तक भी इन E-waste का improper disposal पर्यावरण में क्या होता है सही रूप से पता नहीं है लेकिन ये बात तो निस्चित है की इनका प्रवाह बड़े मात्रा में एक भयंकर रूप ले सकता है.

E-waste से ये environment में soil, air, और water components को ख़राब कर सकता है. तो चलिए जानते हैं की इनका आखिर क्या प्रवाह होता है हमारे पर्यावरण में.

Effects on air (हवा में)

एक बहुत ही common effect E-waste का होता है हवा में air pollution के द्वारा. हम सभी जानते हैं की इन electronic waste में ऐसे बहुत से चीज़ें आते हैं wires, blenders और बहुत कुछ जिन्हें की पाने के लिए लोग इस जला डालते हैं जिसके चलते वायु प्रदुसन का होना एक आम सी बात है।

Effects on water (पानी में)

जब इन electronics जिसमें की heavy metals जैसे की lead, barium, mercury, lithium (जो की mobile phone और computer batteries) होती हैं, अगर इन्हें सही रूप से dispose नहीं किया गया तब ये heavy metals मिटटी से मिलकर groundwater channels तक पहुँच सकती है जो की आगे चलकर surface में स्तिथ streams और small ponds में जाकर मिल जाती हैं. जो Local communities इन water sources के ऊपर निर्भर करते हैं उन्हें इन chemicals का direct प्रवाह होता है जिसके चलते उन्हें कई बीमारियाँ भी होती है. इस तरह से आगे चलकर ये जल प्रदुषण का रूप लेता है।

Effects on soil (मिटटी में)

अगर सही रूप से e waste को disposed नहीं किया गया तब इसमें स्तिथ toxic heavy metals और chemicals हमारे “soil-crop-food pathway” में घुस जाते हैं जिससे की ये heavy metals मनुष्यों के संस्पर्श में आते हैं. ये chemicals biodegradable नहीं होते है, इसका मतलब है की ये environment में लम्बे समय तक मेह्जुद रहते हैं जिसके चलते इसके risk of exposure बहुत मात्रा में बढ़ जाती है.

इन chemicals का मनुष्यों और दुसरे जीवित प्राणियों के ऊपर बहुत ख़राब दुश्प्रवाह होता है जिसके brain, heart, liver, kidney और skeletal system damage हो जाती है. इसके साथ बच्चे विकलांग जन्म होते हैं. यूँ कहे तो इससे Soil Pollution होती है जो की आगे चलकर बड़ा रूप ले सकती है.

E- Waste को कैसे Control करें

इसका कोई एक जवाब नहीं है बल्कि बहुत सारे तरीके हैं जिनसे की हम E-Waste को control कर सकते हैं. यहाँ पर मैंने कुछ important तरीकों के विषय में discuss किया है.

1.  आप local government के द्वारा बनाये गए laws और regulations को पालन कर सकते हैं जिसमें की हमें ethical और Waste के safe disposal के विषय में बताया गया होता है. चूँकि e waste हमें पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन सकता है इसलिए बहुत सारे communities ने जरुरत में न आने वाले electronics को कुछ ख़ास drop-off location में ही डालने का प्रबंध किया है जिससे इन्हें सही रूप से control किया जा सके.

2.  Electronic Products के donation से, हम कोई भी चीज़ का reuse कर सकते हैं जिससे की pollution को बहुत हद तक रोका जा सकता है. ऐसा इसलिए क्यूंकि हो सकता है E Waste क्या है की जो चीज़ आप इस्तमाल न कर रहे हों वो किसी दुसरे के लिए बहुत जरुरी हो.

3.  वैसे E-waste recycler तो बहुत है लेकिन उनमें से सही recycler का पता लगा पाना थोडा मुस्किल है लेकिन अगर हम certified E-waste recycler का इस्तमाल करें तो इससे प्रदुषण बहुत ही कम होगा, और ये हमारे पर्यावरण के लिए Safe भी है.

अगर हम सभी मिलकर ये प्रण लें की हम E- Waste से अपने environment को ख़राब नहीं होने देंगे और इन Electronic वस्तुओं का judiciously इस्तमाल करेंगे क्यूंकि ये E waste न केवल हमारे पर्यावरण को दूषित करते हैं बल्कि हमें भी नुकशान पहुंचाते हैं.

Recycling के क्या benefits हैं

अगर Recycling के मदद से इन्हें अच्छे से Managed किया जाये तब, E-waste हमारे लिए raw materials का एक secondary source भी बन सकता है और इसके साथ इसके बहुत सारे दुसरे benefits भी हैं जैसे की : –

  • Economic Benefits
    इन recovered materials से हम अच्छा खासा Revenue generation कर सकते हैं.
  • Environmental Benefits
    इससे बहुत हद तक Natural resource का conservation भी हो सकता है और इसके साथ environmental pollution में काफी हद तक कमी भी लायी जा सकती है.
  • Social Benefits
    ऐसे recycling process के लिए human labour की भी जरुरत पड़ती है जिससे की Employment generation हो सकता है.

हमें Recycle क्यूँ करना चाहिए?

  • इस धरती के Natural resources पूरी तरह से limited हैं और इसलिए हमें ये ध्यान देना चाहिए की हम इसे preserve करें और इसका carefully इस्तमाल करें.
  • इससे हम Landfill होने से रोक सकते हैं.
  • इससे हम अपने धरती को वायु, जल और स्थल प्रदुषण से रोक सकते हैं.
  • इसके अलावा इससे Employment opportunity भी पैदा होती है.

E-Waste को recycle करने के उपाय

Electronic waste से ऐसे बहुत से खतरनाक chemicals पैदा होते हैं जैसे की lead, cadmium, beryllium, mercury इत्यादि. जब हम कोई gadgets और devices को improper तरीके से dispose करते हैं तब ये waste हमारे पर्यावरण को दूषित कर सकते हैं. ये तीनों जल, स्थल और वायु को प्रदूषित करते हैं जिससे की हमें और अन्य जीव जन्तुवों को बहुत सारे बीमारियाँ होती हैं.

कैसे e-waste को recycle किया जाये :

Consumer recycling :
Consumer recycling के तहत इस्तमाल में नहीं आ रहे electronic चीज़ों को जरुरतमंदों को बेच दिया जाता है अथवा उसे दान में दे दिया जाता है. इसके अलावा ये नए products के बदले में manufacturers से ही exchange कर दिया जाता है. इसके अलावा हो सके तो उन्हें convenient recycler या refurbishing company को दे दिया जाता है.

Scrapping/recycling:
E-waste recycling process के Scrapping के दोरान बहुत से steps को पालन किया जाता है : –

1. Sorting: जब e-waste recycling plant में आता है, तब इन wastes को manually shorted किया जाता है और batteries को भी निकाल दिया जाता है अगर कोई laptops, HDD, इसके साथ Memories को भी sort कर दिया जाता है बाकियों से.

2. Disassembly: Manually sorting करने के बाद, जो दूसरा step वो ये की manual dismantling किया जाता है  E Waste क्या हैजिसमें की serious labor की जरुरत होती है, चूँकि ये एक intensive process है. फिर e-waste items को अलग अलग कर दिया जाता है, जिसमें की उन्हें core materials और components के हिसाब से categorize कर दिया जाता है. ये dismantled items को दुसरे बार re-use भी किया जा सकता है. Metals से plastic को अलग कर दिया जाता है.

3. First size reduction process: इस process में उन pieces को shredding किया जाता है जिसे की सही रूप से dismantled नहीं किया जा सके. इसका मतलब है की उन pieces को 2 inch diameter के आकर में काट दिया जाता है. इससे e waste एक समान रूप में हो जाये.

4. Second size reduction process: इस process में उन pieces को और एक बार छोटे छोटे टुकड़ों में बाँट दिया जाता है और यदि कोई dust वहां से निकले तो उसे ऐसे जगह में discard किया जाता है जिससे की पर्यावरण को कोई हानी न हो.

5. Over-band Magnet: इस process के दोरान एक over-band magnet के इस्तमाल से सभी magnetic materials को दुसरे e-waste debris से अलग कर दिया जाता है.

6. Non-metallic and metallic components separation: इस process के दोरान सभी metals और non-metallic components को दुसरे e-waste debris से अलग कर दिया जाता है.. यहाँ metals को raw materials के हिसाब से बेच दिया जाता है या उसे फिर से दुसरे products बनाने के लिए फिर से इस्तमाल किया जाता है.

7. Water Separation: ये आखिरी step है, जिसमें plastic components को पानी के मदद से glass से अलग कर दिया जाता है. एक बार सभी materials अलग कर दिया जाने के बाद उन raw materials को re-use या resold कर दिया जाता है.

अब इन recycled components जैसे की glass (from monitors, phone screens, TV screens etc.), plastic, metal, को आसानी से reuse किया जाता है.

जो भी plastic components retrieve किया जाता है उन्हें recyclers में भेज दिया जाता है जो की उन्हें दुसरे सामान जैसे की fence posts, plastic sleepers, plastic trays, vineyard stakes, equipment holders, plastic chairs, और खिलोने बनाने के लिए इस्तमाल करते हैं.

Metal जो भी retrieve किया जाता है जैसे की copper और steel, उन्हें recyclers में भेजा जाता है नए metal products बनाने के लिए.

E waste management tips क्या हैं :

  • कभी भी ख़राब हो गए cell phones, dumped systems को land fills में न डालें. बल्कि उन्हें ऐसे organizations को भेज दें जहाँ की recycling किया जा रहा हो.
  • Electronic goods उन दुकानदारों से ही खरीदें जो की उसे ख़राब हो जाने पर recycle करने के लिए वापिस ले जाएँ.
  • अपने hardware equipments का life time बराबर देखते रहें जिससे की e waste को काफी हद तक कम किया जा सके.
  • बड़े Industries को recyclers खरीदना चाहिए जिसे की वो लम्बे समय तक इस्तमाल कर सकें.
  • हमेशा green engineering को support करें.
  • Citizens हमेशा recycled products को इस्तमाल करने के तरफ mood बनाएं.

Industries में Effective Waste minimization कैसे करें :

यहाँ पर में कुछ ऐसे process की बात करूँगा जिससे की बेहतर तरीके से Waste minimization किया जा सके.

  • बेहतर inventory management करना
  • Production-process में modification लाना
  • अपने volume की reduction करना
  • Recovery और reuse करना.

भारत में Electronic Waste

भारत अब पांचवां सबसे बड़ा E-Waste पैदा करने वाला राष्ट्र बन चूका है पूरी दुनिया में. केवल Computer devices से ही लगभग 70% के करीब e-waste निकलती है, वहीँ telecom sector से 12%, medical equipment से 8%, और electric equipment से 7% सालाना निकलती है. वहीँ Government, public sector companies, और private sector companies सभी मिलाकर करीब 75% से भी ज्यादा electronic waste पैदा करती हैं वहीँ individual household से केवल 16% ही निकलती हैं.

वहीँ अगर हूँ सहर की list तैयार करें तब इसमें Mumbai सबसे आगे हैं और उसके पीछे पीछे है New Delhi, Bangalore और Chennai. State-wise Maharashtra सबसे आगे स्तिथ है और उसके पीछे है Tamil Nadu and Uttar Pradesh. इन Electronic waste में सबसे ज्यादा Lead पाया जाता है जो की है 40% और इसमें 70% से भी ज्यादा heavy metals पैदा होती है. इन pollutants से groundwater contamination होता है, air pollution और soil acidification भी होता है.

E-Parisaraa क्या है

E-Parisaraa Pvt. Ltd, भारत का सबसे पहला Government authorized electronic waste recycler है जिसने की अपना operations September 2005 से शुरू किया है, और जो की इन e waste के handling, recycling and reusing का ख़ास ध्यान रखते हैं और वो भी eco friendly तरीके में. इसका मुख्य उद्देश्य है की वो कैसे E Waste को सही रूप से dispose और recycle करे.

इसके साथ E-Parisaraa का एक और objective भी है की वो कैसे एक ऐसा opportunity तैयार करें जिससे की Waste को valualble raw materials में तब्दील किया जा सके जिसे socially और industrially beneficial raw materials जैसे की valuable metals, plastics और glass के रूप में इस्तमाल किया जा सके. इसमें ऐसी environmental friendly technologies का इस्तमाल किया जाये जो की Indian Conditions को favourable हो।

हम समाधान का हिस्सा कैसे हो सकते हैं?

ई-कचरा हमारे आधुनिक जीवन का एक अपरिहार्य हिस्सा है और विकासशील देशों में आय में वृद्धि के मानकों और मानकों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि ई-कचरे की बढ़ती मात्रा केवल प्रबंधन के लिए कठिन होती जा रही है।

एक तत्काल समाधान है जो स्रोत पर समस्या को रोक सकता है। यह सरल, फिर भी प्रभावी समाधान जो हर किसी की सहायता कर सकता है वह है इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कमी और पुन: उपयोग जिसे हम अन्यथा फेंक सकते हैं। हमें उन वस्तुओं को बदलने के लिए अपना दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है जिन्हें बदलने की आवश्यकता नहीं है जैसे कि हर साल मोबाइल फोन को अपग्रेड करना। हमें टीवी या कंप्यूटर जैसी वस्तुओं को फेंकने की आवश्यकता पर भी पुनर्विचार करना चाहिए जिनकी मरम्मत की जा सकती है।

अगर हम ई-कचरे के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में सभी लाल झंडों को नजरअंदाज करना चुनते हैं, तो हमारे प्राकृतिक संसाधन जल्द ही समाप्त हो जाएंगे, पर्यावरण और जनसंख्या स्वास्थ्य को नुकसान होगा, और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण जैसा कि हम जानते हैं कि इसे खत्म करने के लिए मजबूर किया जाएगा।

E-Waste मानव जीवन के लिए कैसे हानिकारक (harmful) है ?

जब इलेक्ट्रॉनिक्स का अनुचित तरीके से निपटान किया जाता है और वह E कचरा जमीन के साथ मिल जाता है या जमीन मे समा जाता है  E Waste क्या है,तो कई तरह के जहरीले रसायन निकलते हैं, जो पृथ्वी की हवा, मिट्टी, पानी और मानव स्वास्थ्य को बड़ी ही गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।

जैसे लैंडफिल या अन्य गैर-डंपिंग साइटों में अवैध ई-कचरे को ऐसे ही फेकना या उसका निपटान न करना वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं । और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण और वातावरण को प्रदूषित कर सकते हैं।

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Conclusion

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख  E Waste क्या है और इसे कैसे Control करें? पूरी जानकारी जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

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