LED क्या है और कैसे काम करता है पूरी जानकारी हिंदी में (2024)

दोस्तों, आज के आधुनिक जमाने में मनुष्य की एक और बहुत बड़ी खोज LED के बारे में आपने तो सुना होगा। क्या आप जानते हैं की LED क्या है? (एलईडी क्या है? What is LED in Hindi). LED कैसे काम करता है? एलईडी शब्द से आप थोड़े बहुत तो परिचित होंगे ही, आप में से बहुत सारे लोग LED के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो जरूर रखते होंगे। घरों में इस्तेमाल होने वाली बहुत सारी चीजों में LED का इस्तेमाल भी किया जाता है। आज के हमारे इस लेख में हम लोग LED क्या है? कैसे काम करता है? और इसकी इतिहास के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

LED को हिंदी में प्रकाश उत्सर्जक डायोड कहा जाता है। वही English में इसे light emitting diode के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का अर्धचालक (semiconductor device) उपकरण होता है। जोकि प्रकाश का उत्सर्जन (emitting) करता है, जब इसके अंदर से विद्युत का प्रवह होता है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल देखने को मिलता है। LED के अविष्कार के लिए Nobel prize भी दिया गया है। इस चलते LED के बारे में जानना और भी अहम हो जाता है। तो चलिए जानते हैं एलइडी क्या है? What is LED in Hindi. 

LED क्या है और कैसे काम करता है पूरी जानकारी हिंदी में (2022)
TEJWIKI.IN 

एलईडी क्या है (LED in Hindi)

ये LED का Full Form होता है Light Emitting Diode, ये एक बहुत ही latest invention है और इसे आज सबसे ज्यादा काम में लाया जा रहा है. आपके cell phone से बड़े advertising display boards तक एक बहुत ही बड़े range के applications में इस magic light bulbs का इस्तमाल किया जाता है.

इसे आप कहीं पर भी देख सकते हैं. आज इसकी popularity और applications दिनबदिन बढती ही जा रही है क्यूंकि इसमें ऐसे कुछ बहुत ही बेहतरीन properties हैं. खासतोर से LEDs बहुत ही छोटे होते हैं और इसके साथ ये बहुत कम power का इस्तमाल करते हैं.

ये LED को हम “active” semiconductor के category में रख सकते हैं. इस diode को हम normal general purpose diode के साथ भी compare कर सकते हैं, लेकिन जो इसमें सबसे बड़ी difference है वो ये की इसमें अलग अलग प्रकार की light को emit करने की क्ष्य्मता होती है.

अगर इस LED में स्तिथ दोनों terminal (anode और cathode) को जब कोई voltage source के साथ connect किया जाता है इसके सही polarity में तब ये अलग अलग colors के light produce कर सकती है, इसके साथ ये इसमें स्थित semiconductor substance के ऊपर भी निर्भर करता है.

LED जलने पर जो bright light उत्पन्न होती है वो monochromatic होती है और जो की एक single wavelength की होती है. एक LED की output range होती है red (at wavelength approximately 700 nanometer) से blue-violet (about 400 nanometer) होती है. कुछ LEDs infrared energy (IR) emit करते हैं जिन्हें की IRED (infrare-emitting diode) भी कहा जाता है.

एक LED में मुख्यतः दो elements होते हैं processed material के जो की हैं P-type semiconductor और N-type semiconductor. इन्ही दो elements को direct contact में place किया जाता है और एक region की formation की जाती है जिसे की P-N junction भी कहा जाता है. ये दुसरे diodes के जैसे ही होते हैं लेकिन इसमें एक transparent package होती है जो की visible या IR energy को पास होने के लिए मदद करती है.

एलईडी की परिभाषा क्या है? (Definition of LED In Hindi)

LED Full Form – Light emitting diode हैं, जो एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है। यह एक PN जंक्शन है जो एक इलेक्ट्रिक करंट से गुजरने पर प्रकाश का उत्सर्जन या उत्पादन करता है। कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइटिंग की तुलना में LED लाइटिंग अधिक बहुमुखी, कुशल और लंबे समय तक चलने वाली हो सकती है।

इस प्रकार का डायोड रिमोट कंट्रोल के लिए अलग-अलग रंग की तरंग दैर्ध्य में दृश्य प्रकाश या अदृश्य प्रकाश की संकीर्ण बैंडविड्थ का उत्सर्जन करता है। यह बेहतर है क्योंकि यह साइज में छोटा है और इसके रेडिएशन पैटर्न को आकार देने के लिए कई ऑप्टिकल कंपोनेंट का उपयोग किया जा सकता है।

एलईडी का क्या मतलब है? (LED Meaning in Hindi)

Meaning of LED in Hindi – सबसे सरल शब्दों में, एक Light Emitting Diodes (LED) एक सेमीकंडक्टर डिवाइस है जो प्रकाश का उत्सर्जन करता है जब इसके माध्यम से एक इलेक्ट्रिक करंट पारित किया जाता है। LED क्या है प्रकाश तब उत्पन्न होता है जब पार्टिकल्स (जिसे इलेक्ट्रॉनों और होल्‍स के रूप में जाना जाता है) को सेमीकंडक्टर मटेरियल के भीतर एक साथ कंबाइन किया जाता है।

चूंकि सॉलिड सेमीकंडक्टर मटेरियल के भीतर प्रकाश उत्पन्न होता है, LED को solid-state devices के रूप में वर्णित किया जाता है। शब्द सॉलिड-स्टेट लाइटिंग, जिसमें organic LED (OLED) भी शामिल है, इस प्रकाश प्रौद्योगिकी को अन्य स्रोतों से अलग करती है जो heated filaments (incandescent and tungsten halogen lamps) या गैस डिस्चार्ज (फ्लोरोसेंट लैंप) का उपयोग करते हैं।

LED का इतिहास (History of LED)

सन 1907 में सबसे पहली बार LED को इस दुनिया में लाया गया जब elecluminescence की discovery हुई British scientist H.J.Round के द्वारा Marconi Labs में. उसके बाद सन 1961 में Gary Pittman और Robert Biard जब अपने experiments कर रहे थे Texas Instruments में तब उन्होंने ये discover किया की gallium arsenide electrical current के संपर्क पर आने पर infrared radiation emit करता है, जिसे की उन्होंने बाद में infrared LED के नाम से patent बना लिया.

उसके बाद सबसे पहली बार visible light LED (red) सन 1962 में आई. इसे develop किया गया Nick Holonyak Jr. के द्वारा जब वो General Electric में काम कर रहे थे. इसलिए Holonyak को “father of the light-emitting diode” भी कहा जाता है.

उसके बाद सन 1972, में M. George Craford, जो की कभी Holonyak के student हुआ करते थे, उन्होंने yellow LED को सबसे पहले बताया और उन्होंने red and red-orange LEDs के light output को factor of 10 में बड़ा दिया जो की उस समय में एक बहुत उपलब्धि थी.

LED के लिए Nobel prize 

साल 2014 में कम ऊर्जा में देश सफेद रोशनी देने वाली blue LED (light emitting diode) के लिए तीन विज्ञानिक को Nobel prize से सम्मानित किया गया है।

इन तीन वैज्ञानिकों में शामिल है Professor Isamu Akasaki, Hiroshi Amano और Shuji Nakamura. Blue LED light एक light spectrum की सीमा होती है जिसे 400 नैनोमीटर से 525 नैनोमीटर के wavelength के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस spectrum में violet और cyan के wavelength भी मौजूद रहते हैं। Narrow spectrum bluelight ( a.k.a blue LED, या short wavelength light) एक तरह की high-energy visible प्रकाश होती है। जिसका wavelength 400 से 450 नैनोमीटर के बीच होता है।

LED की Working Principle

एक light-emitting diode two-lead semiconductor light source होती है. ये एक p–n junction diode होती है जो की activate हो जाने पर light emit करती है. जब उसके leads को एक suitable voltage apply किया जाता है तब उसमें स्तिथ electrons device में स्तिथ electron holes के साथ recombine हो जाते हैं.

जिससे वो energy release करते हैं photons के form में. इस effect को electroluminescence कहते हैं और यहाँ पर light का जो color होता है (जो की Photon के energy को correspond करती है) इसे determine किया जाता है semiconductor के energy band gap के द्वारा.

LED की पूरी Working Principle detail में कार्य प्रणाली 

LEDs जो material का इस्तमाल होता है वो basically aluminum-gallium-arsenide (AlGaAs) होती है. ये अपने original state, में इस material के atoms बहुत ही strongly bonded होते हैं. यहाँ free electrons, के न होने से electricity की conduction हो पाना नामुमकिन होता है.

यहाँ पर एक impurity को add किया जा सकता है जिसे की doping भी कहा जाता है, जहाँ की extra atoms को introduced किया जाता है, जिससे की Material का balance disturb हो जाता है. इन impurities को add करने से जो की additional atoms के form में होता है वो either provide करते हैं free electrons (N-type) system में या already स्तिथ existing electrons को निकल देते हैं इन atoms (P-Type) से जिससे atomic orbits से “holes” create होते हैं.

इन दोनों तरीकों में materials बहुत ही conductive हो जाते हैं. यहाँ electric current के influence में N-type of material में electrons सक्षम होते हैं travel होने में anode (positive) से cathode (negative) तक जाने में और vice versa होता है P-type of material में. Semiconductor property के अनुसार current कभी भी उलटे directions में travel नहीं करती हैं इन respective cases में.

यहाँ ऊपर वाले explanation के अनुसार, ये बात पूरी तरह से clear होती है की Source LED से कितनी intensity से light emit होगी वो depend करती है emitted photon की energy level कितनी है और जो depend करती है कितनी energy release होती है जब electrons jump करती है semiconductor material के atomic orbits के भीतर.

जैसे की हम जानते हैं की electron को lower orbital से higher orbital तक ले जाने के लिए उसके energy level को बढाया किया जाता है. ठीक उसी तरह से अगर electron को higher orbital से lower orbital तक ले जाने के लिए उसके energy level को कम किया जाता है.

और LEDs में ये phenomena को सही रूप से इस्तमाल किया जाता है. P-type doping में LEDs के electrons move करते हैं higher orbitals से lower orbitals में जाकर, वो भी अपने energy को release करके जो की photons के form में होता है जो की है light. Orbitals जो की एक दुसरे से जितने दूर रहते हैं उतनी ही ज्यादा intensity से light emit होते हैं.

इस process में अलग अलग wavelength के हिसाब से अलग colors produce होते हैं LEDs में. इसलिए device से किस तरह की light emit होगी वो depend करती है की किस type की semiconductor material का इस्तमाल किया जाता है.

Infrared light को produce किया जाता है Gallium Arsenide (GaAs) को semiconductor के हिसाब से इस्तमाल करने से. Red और yellow light को produce किया जाता है Gallium-Arsenide-Phosphorus (GaAsP) को semiconductor के हिसाब से इस्तमाल करने से.

Red और green light को produce किया जाता है Gallium-Phosphorus (GaP) को semiconductor के हिसाब से इस्तमाल करने से.

एलईडी के चमत्कार (wonders of led) 

एक लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) नवीनतम आविष्कारों में से एक है और इन दिनों बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है. आपके सेल फोन से लेकर बड़े विज्ञापन डिस्प्ले बोर्ड तक, इन जादुई प्रकाश बल्बों के अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला लगभग हर जगह देखी जा सकती है. LED क्या है आज उनकी लोकप्रियता और अनुप्रयोग तेजी से बढ़ रहे हैं क्योंकि उनके पास कुछ उल्लेखनीय गुण हैं. विशेष रूप से, एल ई डी आकार में बहुत छोटे होते हैं और बहुत कम बिजली की खपत करते हैं. एल ई डी के साथ शामिल शानदार, सुंदर, चमकदार रंग काफी सुरम्य हो सकते हैं, लेकिन क्या आप वास्तव में जानते हैं कि इन प्रभावों को वास्तव में कैसे बनाया जाता है या एलईडी लाइट बल्ब कैसे काम करते हैं?

LED के कुछ मुख्य उपयोग (Some main uses of LED)

LED का सबसे मुख्य उपयोग प्रकाश स्रोत के रूप में किया जाता है। LED को कई जगहों जैसे घर में बल्ब, उपकरणों में संकेत, वाहनों आदि में किया जाता है और LED का एक मुख्य उपयोग कई तरह के रिमोट कंट्रोल में अलग अलग तरंग दैर्ध्य की तरंगे उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है। LED के कुछ प्रमुख उपयोग नीचे दिए गए हैं:

  • विभिन्न प्रकार के डिस्प्ले में जैसे मोबाइल डिस्प्ले, टीवी डिस्प्ले, इत्यादि.
  • अलार्म सेंसर और सिक्योरिटी डिवाइस बनाने में.
  • ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में.
  • सिग्नल डिस्प्ले स्क्रीन बनने में जैसे ट्रैफिक सिग्नल स्क्रीन, नोटिफिकेशन डिस्प्ले, इत्यादि.
  • एलईडी की हाई स्विचिंग विशेषताओं के कारण इसका इस्तेमाल उन्नत कम्युनिकेशन सिस्टम बनाने में भी किया जाता है.

LED से लाभ  (Advantages of LEDs)

1. बहुत ही कम voltage और current जरुरत पड़ती है LED को जलाने के लिए.
Voltage range – 1 to 2 volts, Current – 5 to 20 milliamperes.

2. यहाँ total power output बहुत हो कम होता है 150 milliwatts से.

3. यहाँ response time बहुत ही कम होता है – जो की केवल 10 nanoseconds होता है.

4. ये device को कोई भी heating और warm-up time की जरुरत नहीं होती है.

5. इनकी size बहुत ही छोटी होती है और ये lightweight होता है.

6. इनकी construction बहुत ही rugged होती है और इसलिए ये shock और vibrations को सहन कर सकती है.

7. LED का जीवनकाल 20 सालों से भी ज्यादा होता है .

LED से हानि (Disadvantages of LEDs)

1. इसपर अगर थोडा भी अधिक voltage और current का इस्तमाल किया जाये तब ये आसानी से ख़राब हो सकती है.
2. इस device की बहुत ही ज्यादा और wider bandwidth होता है laser के compare में.
3. यहाँ temperature depend करती है radiant output power और wavelength के ऊपर.

Main LED materials क्या हैं

जो main semiconductor materials जिनका इस्तमाल किया जाता है LEDs को manufacture करने के लिए :

  • Indium gallium nitride (InGaN): blue, green और ultraviolet high-brightness LEDs
  • Aluminum gallium indium phosphide (AlGaInP): yellow, orange और red high-brightness LEDs
  • Aluminum gallium arsenide (AlGaAs): red और infrared LEDs
  • Gallium phosphide (GaP): yellow और green LEDs

LED के प्रकार  (Types OF LED)

जबसे LEDs का आविस्कार हुआ है तब से इसके technology में बहुत बदलाव देखने को मिला है और इसके बहुत variety भी पाया जा रहा है, जिसमें की इनके अलग अलग properties होते हैं और application होते हैं.

1. Traditional inorganic LEDs: ये type of LED मुख्यतः diode का traditional form होता है जो की 1960s से available भी. इन्हें inorganic materials के इस्तमाल से manufacture किया जाता है. यहाँ जो सबसे ज्यादा इस्तमाल में आने वाले compound semiconductors हैं वो हैं Aluminium gallium arsenide, Gallium arsenide phosphide, इत्यादि.

यहाँ इन LEDs का colour depend करता है की किन materials का इस्तमाल हो रहा है.

इन inorganic LED के कई category होते हैं और ये बहुत से style में आता है :

  • Single colour 5 mm, etc – ये traditional LED package होता है
  • Surface mount LEDs
  • Bi-colour और multicolor LEDs – इन types of LEDs में बहुत से individual LEDs को एक साथ रखा जाता है और उन्हें turn on किया जाता है अलग voltages के माध्यम से.
  • Flashing LEDs – जिसमें की छोटे time integrated किया गया होता है इनके package में
  • Alphanumeric LED displays

2. High brightness LEDs: ये भी inorganic LED का एक type होता है जिन्हें की lighting applications के लिए इस्तमाल किया जाता है. ये भी basic inorganic LED के समान होता है लेकिन इसमें greater light output होती है.

Higher light output पैदा करने के लिए इन LEDs को ज्यादा higher current levels और power dissipation का सहन करना पड़ता है. इन्हें heatsink के ऊपर mount किया जाता है जिससे की unwanted heat को बहार निकाला जा सके. इन lights का इस्तमाल traditional lights के जगह में होता है.

3. Organic LEDs: Organic LEDs basic light emitting diode का थोडा advanced version होता है. इन LEDs में organic materials का इस्तमाल होता है जैसे की इसके नाम से पता चलता है. LED क्या है Organic type of LED display based होते हैं organic materials के ऊपर जिन्हें की sheets के मदद से manufacture किया जाता है और जो एक diffuse area of light प्रदान करती है. यहाँ Typically एक बहुत ही पतली organic material की film को print किया जाता है substrate में जो की glass से बना होता है.

फिर एक semiconductor circuit का इस्तमाल किया जाता है जिससे की electrical charges को imprinted pixels तक लाया जा सके, जो की इसे Glow करने में मदद करते हैं.

ऐसे ही धीरे धीरे LED Technology को improve किया जा रहा है जिससे की इनकी efficiency level को बढाया जा सके और इन्हें और ज्यादा इस्तमाल में लाया जा सके.

Applications of LEDs :

  • Indicator lights:
    इन्हें Indicator lights में इस्तमाल किया जाता है. जो की two-state (i.e., on/off) में इस्तमाल किया जाता है, bar-graph, और alphabetic-numeric readouts.
  • LCD panel backlighting:
    यहाँ Specialized white LEDs का इस्तमाल flat-panel computer displays में किया जाता है.
  • Fiber optic data transmission:
    इनके द्वारा Modulation करने में आसानी होती है जो की allow करता है wide communications bandwidth करने में वो भी minimal noise के साथ जिससे की high-speed और accuracy प्राप्त होती है.
  • Remote control:
    इसका इस्तमाल घरों में “remotes” में होता है.
  • Optoisolator:
    इनका इस्तमाल Optoisolator में होता है जहाँ की दो Stages को connect करने में आसानी होती है बिना किसी unwanted interaction के.

FAQ- LED पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

LED का क्या अर्थ है?

सरल शब्दों में, एक light-emitting diode (LED) एक सेमिकंडक्‍टर उपकरण है जो विद्युत प्रवाह के माध्यम से पारित होने पर प्रकाश उत्सर्जित करता है। प्रकाश तब उत्पन्न होता है जब करंट को ले जाने वाले कण (इलेक्ट्रॉन और छेद के रूप में जाने जाते हैं) सेमिकंडक्‍टर सामग्री के भीतर एक साथ जुड़ जाते हैं।

एलईडी बल्ब का फुल फॉर्म क्या होता है

एक एलईडी लैंप या एलईडी लाइट बल्ब एक विद्युत प्रकाश है जो Light-Emitting Diode (LED) का उपयोग करके प्रकाश उत्पन्न करता है।

एलईडी के अविष्कारक कौन है?

1962 में, जनरल इलेक्ट्रिक के एक परामर्श इंजीनियर निक होलोनीक ने पहली दृश्यमान प्रकाश एलईडी का आविष्कार किया। यह एक लाल एलईडी थी और होलोनीक ने डायोड के लिए एक सब्सट्रेट के रूप में गैलियम आर्सेनाइड फॉस्फाइड का इस्तेमाल किया था। Holonyack को उनके योगदान के लिए “प्रकाश उत्सर्जक डायोड का जनक” कहा जाता है। LED क्या है उनके पास 41 पेटेंट भी हैं और उनके अन्य आविष्कारों में लेजर डायोड और पहला लाइट डिमर शामिल हैं।
1972 में, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, एम जॉर्ज क्रॉफर्ड ने डायोड में गैलियम आर्सेनाइड फॉस्फाइड का उपयोग करके मोनसेंटो के लिए पहली पीले रंग की एलईडी का आविष्कार किया। क्रॉफर्ड ने एक लाल एलईडी का भी आविष्कार किया जो होलोनीक की तुलना में 10 गुना तेज थी।

एलईडी कैसे बनती है?

एल ई डी में यौगिक सेमिकंडक्‍टर पदार्थ होते हैं, जो आवर्त सारणी के समूह III और समूह V के तत्वों से बने होते हैं (इन्हें III-V सामग्री के रूप में जाना जाता है)। आमतौर पर एलईडी बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली III-V सामग्री के उदाहरण गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) और गैलियम फॉस्फाइड (GaP) हैं।

LED प्राय कितने रंगों में बनाया जाता है?

एलईडी के सामान्य रूप से उपलब्ध रंग लाल, हरा, नीला, पीला, एम्बर और सफेद हैं। लाल, नीले और हरे रंग के प्रकाश को सीमित चमक के साथ सफेद प्रकाश उत्पन्न करने के लिए आसानी से जोड़ा जा सकता है। लाल, हरे, एम्बर और पीले रंगों का कार्यशील वोल्टेज लगभग 1.8 वोल्ट है। 

Conclusion

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख LED क्या है और कैसे काम करता है पूरी जानकारी हिंदी में (2024) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

hi.wikipedia.org/wiki

LED क्या है और कैसे काम करता है पूरी जानकारी हिंदी में (2024)

Join our Facebook Group

   Join Whatsapp Group

Leave a Comment