सैलरी अकाउंट क्या होता है? सैलरी अकाउंट कैसे कार्य करता है?

दोस्तों सैलरी अकाउंट क्या होता है? कोई भी व्यक्ति जब पहली बार सैलरी अकाउंट के बारे में सुनता है तो उसका पहला सवाल यही होता है की यह सैलरी अकाउंट क्या होता है? और इस सैलरी अकाउंट के फायदे क्या है? या फिर इस सैलरी अकाउंट के नुकसान क्या है? या सैलरी अकाउंट काम कैसे करता है।

अगर आप भी इन्ही सवालो के जवाब जानना चाहते है तो आपको कही और जाने की आवश्यकता नहीं है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके सैलरी अकाउंट से सम्बंधित सभी संदेह स्पष्ट हो जाएंगे।

इस आर्टिकल में आपको सैलरी अकाउंट की जानकारी मिलेगी। जैसे सैलरी अकाउंट क्या होता है? या सैलरी अकाउंट के फायदे क्या है, सैलरी अकाउंट के नुकसान क्या है? या फिर सैलरी अकाउंट कैसे काम करता है? इसके साथ साथ आपके सैलरी अकाउंट से सम्बंधित सवालो के जवाब भी दिए जाएंगे।

 

सैलरी अकाउंट क्या होता है? सैलरी अकाउंट कैसे कार्य करता है?
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सैलरी अकाउंट क्या होता है? (What is salary Account)

 

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि- Salary account ऐसा बैंक अकाउंट होता है, जिसमें आपकी हर महीने की सैलरी आती है। Salary account खुलवाने के लिए आपको अपनी कंपनी या संस्थान के अथॉरिटी लेटर, या अनुमति पत्र की जरूरत पड़ती है। कंपनी या संस्थान की और से अनुरोध किए जाने पर ही आपका सैलरी अकाउंट खुलता है।

 

 

सैलरी अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं?

 

सैलरी अकाउंट कितने प्रकार के होते है यह पूरी तरह से उस बैंक पर निर्भर करता है। प्रत्येक बैंक अलग अलग प्रकार के सैलरी अकाउंट अपने ग्राहकों को प्रदान करता है लेकिन फिर भी मुख्यतः सैलरी अकाउंट 4 प्रकार के होते है। सिल्वर सैलरी अकाउंट, गोल्ड सैलरी अकाउंट, डायमंड सैलरी अकाउंट और प्लैटिनम सैलरी अकाउंट आदि।

 

सैलरी अकाउंट कैसे कार्य करता है? (How does salary account work)

 

दरअसल, कोई भी कंपनी या संस्थान, अपने कर्मचारियों के Salary account खुलवाने के लिए, किसी बैंक से समझौता या गठबंधन (tie-up) करता है। उस कंपनी का भी एक अकाउंट उस बैंक में खोला जाता है। हर महीने वह अपने अकाउंट से पैसे काटकर सभी कर्मचारियों की सैलरी डालने के लिए भेजता है।

बैंक उस कंपनी के निर्देशों के अनुसार कर्मचारियों के Salary account में सैलरी ट्रांसफर कर देता है। यही कारण है कि, सैलरी अकाउंट किसी व्यक्ति की और से स्वतंत्र रूप से नहीं खुलवाया जा सकता। इसके लिए, उस संस्थान का अनुमति या सहमति पत्र जारी किया जाना जरूरी होता है।

एक बात और जान लें, बैंक किसी एक खाते से कई खातों में पैसा भेजने के लिए, या कई खातों से किसी एक खाते में पैसा भेजने के लिए ECS या NACH सिस्टम की मदद लेता है। यह सिस्टम कैसे काम करता है, यह जानने के लिए देख सकते हैं हमारा लेख: ECS और NACH क्या है ? इनके क्या फायदे होते हैं

 

सैलरी अकाउंट नॉर्मल अकाउंट से अलग कैसे होता है?

 

वैसे Salary account भी मूलरूप से एक प्रकार का सेविंग अकाउंट ही होता है। इसमें भी सेविंग अकाउंट की तरह, एटीएम, पासबुक, चेक बुक, नेटबैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग वगैरह की सुविधाएं मिलती हैं। इसमें भी आप अपनी सुविधानुसार पैसे जमा कर सकते हैं और निकाल भी सकते हैं।

बस इतना अंतर होता है कि Salary account खोलने के लिए आपका कहीं नौकरी पर होना जरूरी है और उस कंपनी की अनुशंसा पर ही आपका Salary account खुल पाता है। इसके अलावा सामान्य सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस या मिनिमम औसत बैलेंस वगैरह के प्रतिबंध होते हैं, जोकि Salary account में नहीं रहते।

इनके अलावा, बैंक अपने यहां सैलरी अकाउंट खुलवाने पर पैसे निकालने, लोन लेने, बीमा वगैरह की कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी देते हैं, जिनका विवरण हमने आगे दिया है।

 

सैलरी अकाउंट से क्या लाभ है ? (What are the benefits of salary account)

सैलरी अकाउंट होने पर आपको निम्नलिखित फायदे मिलते हैं-

 

तुरंत और सुरक्षित रूप से सैलरी का ट्रांसफर

 

Salary account होने से, आपकी सैलरी का पैसा अपने आप आपके अकांउंट में ट्रांसफर हो जाता है। आपको कई स्तरों पर कंपनी के अधिकारियों या कर्मचारियों से हस्ताक्षर और वैरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती। चेक या नकद मिलने पर उसे जमा करने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती। हर बार ऑनलाइन आपका पैसा आपके Salary account में भेज दिया जाता है। उसे आप अपने हिसाब से निकाल सकते हैं और खर्च कर सकते हैं।

 

खाता खुलवाने के लिए कोई पैसा नहीं लगता

 

Salary account खुलवाने के लिए आपको कोई पैसा जमा करने की जरूरत नहीं पड़ती। बाद में भी आपको अपने Salary account में किसी प्रकार का बैलेंस रखने की जरूरत नहीं पड़ती। क्योंकि यह zero minimum balance वाला अकाउंट होता है। आपके खाते में कोई बैलेंस या औसत बैलेंस न होने पर भी किसी तरह की पेनाल्टी नहीं लगती।

 

फ्री पासबुक, एटीएम कार्ड, चेक बुक की सुविधा

 

Salary account के साथ भी आपको निशुल्क पासबुक और एटीएम कार्ड (debit card) मिलता है। एक निर्धारित संख्या में निशुल्क चेकबुक भी मिलती है। इनकी मदद से आप जब चाहें पैसा निकाल सकते हैं और जब चाहे जमा कर सकते हैं। सेविंग अकाउंट की तरह, इसमें भी अपनी बचत इकट्ठा कर सकते हैं।

 

ऑनलाइन बैंकिंग और ट्रांसफर की सुविधा

 

सैलरी अकाउंट के साथ भी आपको net banking, phone banking, आधार बैंकिंग वगैरह की सुविधाएं मिलती हैं। इनकी मदद से आप कभी भी ऑनलाइन पेमेंट या पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। बिजनेस स्टोरों पर या ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों से खरीदारी कर सकते हैं। रिचार्ज या बिल पेमेंट कर सकते हैं।

 

आसानी से लोन और क्रेडिट कार्ड मिल जाता है

 

Salary account का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि, बैंक और वित्तीय संस्थान, सैलरी अकाउंट वालों को आसानी से लोन दे देती हैं। personal loan, car loan, home loan, या अन्य कोई भी लोन आसानी से मंजूर हो जाता है। उनके लिए सत्यापन प्रक्रिया और documentation process भी आसान हो जाती है। क्योंकि Salary account और स्टेटमेंट आपकी आमदनी के प्रामाणिक डॉक्यूमेंट होता है। सैलरी अकाउंट वालों को लोन की ब्याज दर में भी कुछ छूट मिल जाती है। क्योंकि इस लोन के साथ बैंक को रिस्क कम रहता है।

 

सैलरी अकाउंट की जमा पर ब्याज भी मिलता है

 

Salary account में आपकी जमा पर ब्याज भी मिलती है। इसकी ब्याजदर सेविंग अकाउंट के समान होती है। आपके अकाउंट में रोजाना के बैलेंस के हिसाब से ब्याज जुड़ता रहता है और हर तिमाही के बाद (quarterly) आपके अकाउंट में जमा कर दिया जाता है। सेविंग अकाउंट की ब्याज पर टैक्स छूट भी मिलती है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए देखें: सेविंग अकाउंट पर टैक्स छूट के नियम

 

Auto Sweep अपनाकर, ज्यादा ब्याज पा सकते हैं

 

आप अपने Salary account के साथ Auto Sweep की सुविधा जुड़वाकर ज्यादा ब्याज पा सकते हैं। इसमें आपको एक लिमिट से अतिरिक्त जमा पैसो पर FD अकाउंट के बराबर ब्याज मिलता है। जैसे कि SBI में अकाउंट होने पर 35 हजार रुपए से अधिक जमा पहुंचने पर आपका अतिरिक्त पैसा अपने आप Fixed Deposit में पहुंच जाता है। उस पर ब्याज भी फिक्स डिपॉजिट वाली जुड़ने लगती है। खाते का बैलेंस 35 हजार रुपए से कम होने पर फिक्स डिपॉजिट वाला पैसा अपने आप सामान्य सेविंग अकाउंट का हिस्सा बन जाता है।

 

बचत योजनाओं और निवेश खातों को लिंक करा सकते हैं

 

सेविंग अकाउंट की तरह ही आप अपने Salary account के माध्यम से भी Demat account खोल सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स, सरकारी बांड्स, वगैरह में निवेश कर सकते हैं। stock investments और trading के लिए भी सैलरी अकाउंट को लिंक करा सकते हैं। इसी तरह, सरकारी बचत योजनाओं जैसे कि Public Provident fund (PPF) अकाउंट, सुकन्या समृद्धि योजना वगैरह के खाता खुलवाने और उन्हें Salary account से लिंक कराया जा सकता है। बीमा पॉलिसी ले सकते हैं और लिंक करा सकते हैं।

 

ओवरड्रॉफ्ट सुविधा भी मिल सकती है

 

कई बैंक अपने पुराने Salary account वाले ग्राहकों को Overdraft की सुविधा भी देते हैं। कम से कम 6 महीने तक लगातार सैलरी ट्रांसफर वाले अकाउंट्स के साथ ही यह सुविधा जोड़ी जाती है। Overdraft facility मिलने पर आप, अपने अकाउंट में पैसा न होने पर भी कुछ पैसा निकाल सकते हैं। ये छोटे लोन की तरह होता है, जिसे निर्धारित तारीख के भीतर जमा कर देना पड़ता है।

SBI अपने यहां Gold या इससे ऊपर की कैटेगरी वाले सैलरी अकाउंट धारकों को उनकी 2 महीने की सैलरी के बराबर तक Overdraft की सुविधा देता है। Overdraft से जितना पैसा आप निकालते हैं, सिर्फ उतनी रकम पर ब्याज चुकाना पड़ती है। जिसे अगले 6 महीने के भीतर जमा करने की शर्त होती है।

 

लॉकर फीस में छूट मिलती है

 

कुछ बैंक, अपने सैलरी अकाउंट वाले कस्टमर्स को लॉकर खुलवाने में डिस्काउंट भी देते हैं। जैसे कि SBI अपने यहां लॉकर खुलवाने पर सैलरी अकाउंट वालों को सालाना लॉकर फीस (annual locker rental) में 25% की छूट देता है।

 

दुर्घटना बीमा/हवाई दुर्घटना बीमा

 

बैंक अपने यहां सैलरी अकाउंट रखने वालों को पूरक दुर्घटना बीमा और हवाई दुर्घटना बीमा की सुविधा भी देते हैं। जैसे कि SBI बैंक अपने सैलरी अकाउंट धारकों को 20 लाख रुपए तक का Complimentary Personal Accident Insurance (Death) cover देता है और 30 लाख रुपए तक का Complimentary Air Accident Insurance (Death) cover देता है।

 

FAQ-सैलरी अकाउंट से सम्बंधित सवाल जवाब :-

 

सैलरी अकाउंट कौन खोल सकता है?

सैलरी अकाउंट केवल एक कर्मचारी खोल सकता है जो किसी कंपनी में काम करता है और वह कंपनी उसे सैलरी उसके बैंक अकाउंट में देती है।

 

सैलरी अकाउंट कैसे खोलें?

जब एक कर्मचारी किसी कंपनी में भर्ती होता है तो भर्ती के समय ही कंपनी अपने कर्मचारी का सैलरी अकाउंट खोल कर देती है। इसमें कर्मचारी को कुछ करने की जरूरत नहीं है।

 

क्या सैलरी अकाउंट में पैसा रखना सेफ है?

जी हाँ, सैलरी अकाउंट में पैसा रखना बिलकुल सेफ है।

 

सैलरी अकाउंट में कितना पैसा रख सकते हैं?

सैलरी अकाउंट भी सेविंग अकाउंट की ही तरह होता है तो आप इसमें कितने भी पैसे जमा कर सकते है। इसमें किसी भी तरह की कोई सीमा नहीं है। आप जितना चाहे उतना सैलरी अकाउंट में पैसा जमा कर सकते है।

 

सेविंग अकाउंट को सैलरी अकाउंट में कैसे बदलें?

सेविंग अकाउंट को सैलरी अकाउंट में बदलने के लिए आपको अपनी होम ब्रांच में जाना ही और फिर एक एप्लीकेशन फॉर्म भरकर बैंक में सबमिट कर देना है।

 

सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस कितना होना चाहिए?

सैलरी अकाउंट एक जीरो बैलेंस अकाउंट होता है तो इसमें आपको मिनिमम बैलेंस रखने के कोई आवश्यकता नहीं होती है।

 

क्या सैलरी अकाउंट पर ब्याज मिलता है?

हाँ, बैंक सैलरी अकाउंट पर अपने ग्राहकों को 3% से 6% तक ब्याज देता है।

 

Conclusion

 

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख सैलरी अकाउंट क्या होता है? सैलरी अकाउंट कैसे कार्य करता है?  जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.
यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

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