6G kya hai ? जाने 5G से कैसे बेहतर होगा?

दोस्तों शायद आपने अभी तक ये नहीं सुना होगा की 6G kya hai ? सुनेंगे भी कैसे क्यूंकि अभी तक तो 5G भी नहीं आया है. जो की बहुत ही जल्द आ जायेगा हमारे देश में. वहीँ बहुत से अलग देशों में इसका इस्तमाल भी होने लगा है.

लेकिन 5G के न आने से भी 6G को लेकर बहुत बोलबाला है. कुछ research group तो इसके ऊपर अपना research करना भी प्रारंभ कर दिया है. और उनका मानना है की अगले 10 वर्षों के भीतर यानि की 2030 के भीतर 6G भी हमारे सामने होगा.

“6G” भी एक wireless technology जो की “5G” से बहुत हद तक developed होने वली है. मतलब की जो काम 5G करने में असक्षम हो वो काम 6G बड़ी ही आसानी से कर देगी. वैसे 6G के विषय में ज्यादा जानकारी तो internet पर उपलब्ध नहीं है लेकिन फिर भी मैंने बहुत research करने के बाद कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आप लोगों के लिए इकठ्ठा किया है.

इसलिए अगर आप Future Tech पर दिलचस्पी रखते हैं तब आज का यह article 6G क्या है और ये कैसे 5G से बेहतर होगा के विषय में आप लोगों के साथ कुछ share किया है. उम्मीद है मेरी यह कोशिश आपको पसदं आये. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और 6G in Hindi जानते हैं.

 

6G kya hai ? जाने 5G से कैसे बेहतर होगा?
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6G kya hai ? (What is 6g)

 

6G का full form है 6 Generation Communication. इसका अभी तक तो कोई भी अस्तित्व नहीं है. यह 5G के उपरांत एक significant evolution बनने वाला है, जिसकी capability होगी की ये अलग अलग प्रकार के networks को self aggregate करने में सक्षम होगा.

जहाँ 5G भी बहुत से अलग प्रकार के networks को accommodate करने में सक्षम है लेकिन 6G ये काम को autonomously ही कर सकता है वो भी जब उसकी जरुरत हो dynamic तरीके से.

6G networks में ये palnning को embed कर देगा network में ही, इसका मतलब है की network को भली भांति पता होगा की उसका इस्तमाल किया जा रहा है. इससे इसे सही specific moment में इस्तमाल किया जा सकता है users के द्वारा.

वहीँ ये खुद के resources को reconfigure भी कर सकता है जरुरत के अनुसार. इससे ये पता चलता है की ये खुदको evolve भी कर सकता है.

 

 

वहीँ ये जरुरत के अनुसार और ज्यादा resources की जरुरत को भी बता सकता है जिससे की किसी भी कार्य को करने में तकलीफ न हो.

ऐसा करने के लिए 6G network को एक autonomous system बनना होगा, जो की खुद सीखकर अनुमान लगाने में सक्षम हो, एक convincing plan भी develop कर सके और साथ में बहुत से प्रकार के stakeholders के साथ negotiate भी कर सके.

यही अगर आप सोचें तो ये एक बेहतरीन project हैं, एक infrastructure जो की self aware बन जाता है और अपने evolution को plan और foster भी कर सकता है.

6G एक reality बनने वाला है 2030 तक, जो की सही समय होगा इसके आने का और ये Artificial Intelligence और Internet Of Things के साथ मिलकर autonomously काम कर सकता है.

वहीँ university of Oulu, Finland – में एक ऐसा देश जहाँ की Wireless Technology से सम्बंधित बहुत ज्यादा research होते हैं – वहीं researchers की एक team 6G की development के ऊपर काम भी करना चालू कर दिया है.

 

6G Network की परिभाषा (Definition of 6G Network)

 

6G Network सेल्यूलर डाटा नेटवर्क का समर्थन करने वाली वायरलेस संचार प्रौद्योगिकी के विकास के तहत छठी पीढ़ी का प्रतीक है, 6G, 5G का ही उत्तराधिकारी है जिसमें सेवा क्षेत्र को छोटे भौगोलिक क्षेत्र में विभाजित किया जाता है, जिन्हें सेल कहा जाता है, एक 6जी नेटवर्क 4जी और 5G नेटवर्क के संयोजन में काम करता है दुनिया भर की बहुत सी कंट्री 6जी पर काम कर रही है। विदेशों में भारत सरकार 6जी टेक्नोलॉजी को 2024 तक लांच करने की तैयारी में है।

जिसके बारे में हमारे मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के मंत्री अश्वनी वैष्णव ने यह जानकारी दी है कि भारत 2024 तक की 6G टेक्नोलॉजी को भारत में ले आएगा। वैष्णव जी ने बताया कि प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को आवश्यक अनुमति पहले ही दी जा चुकी है, आगे उन्होंने बताया कि हम खुद का टेलीकॉम सॉफ्टवेयर और स्वदेशी टेलीकॉम डिवाइस पर काम कर रहे हैं। 6G पर बने “मेड इन इंडिया” प्रोडक्ट को ग्लोबली भी एक्सपोर्ट किया जाएगा।टेलीकॉम मिनिस्टर ने कहा है कि 5G स्पेक्ट्रम के लिए भी फाइनल ईयर 2023 की पहली तिमाही में ही स्पेक्ट्रम की नीलामी हो जाएगी।

 

क्या आप तैयार हैं Upcoming 6G Wireless के लिए?

 

सुनने में थोडा अजीब लग सकता है लेकिन एक research group अब 5G की ultimate replacement के ऊपर काम कर रही है – जी हाँ terahertz-based 6G wireless – जो की आने वाले 10 वर्षों के भीतर commercially available होने वाला है इस्तमाल के लिए.

2018 में Academy of Finland ने ये announce किया था की वो एक 8 वर्ष की research program को finance करने वाले हैं वो भी Centre for Wireless Communications के patronage में University of Oulu की.

ये research program पूरी तरह से 6G के development और conceptualization के ऊपर आधारित होगा. 6G kya hai ? आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की Oulu, एक शहर है Northern Finland का, साथ में एक major hub भी है 5G के development के लिए. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की ये जगह 5G और दुसरे communication technologies के लिए कितना महत्व रखता है.

इस program के paper में ये साफ़ तोर से लिखा हुआ है की, प्रत्येक 10 वर्षों में एक नयी mobile generation को देखने को मिलता है, ऐसे में हम 2030 तक 6G को जरुर से देख सकते हैं commercialize होते हुए. वहीँ ये उन सभी चीज़ों को पूरा करने वाला है जिन्हें की 5G पूर्ण नहीं कर सकता है. इसके साथ हमें और भी नयी चीज़ें देखने को मिल सकती हैं.

ख़बरों में ये भी सुनने को मिल रहा है की faster 6G wireless की प्रारंभिक development plans की शुरुवात हो भी गयी है. Center for Converged TeraHertz Communications और Sensing (ComSenTer) का कहना है की वो नयी radio technologies के ऊपर अपना investigation कर रहे हैं जो की 6G को पूर्ण आकार देने में समर्थ होगा.

यदि वो अपने काम में सफल रहे तब One hundred gigabits-per-second की speeds हमें 6G technology में देखने को मिलेगा वो भी कम latency के साथ.

 

Terahertz फ्रीक्वेंसी क्या है? (What is Terahertz Frequency)

 

“High frequencies, जिसकी range होती है 100GHz से लेकर 1THz (terahertz) इन्हें ही Terahertz Frequency कहा जाता है.”

ComSenTer के वैज्ञानिकों के अनुसार terahartz frequency का इस्तमाल होगा 100Gbps 6G में. ये वैज्ञानिकों का एक समूह है जिसमें की दुनिया के बेहतरीन लोगों को एक साथ लाया गया है. इस समूह ने ComSenTer center का निर्माण किया है, जो की एक हिस्सा है Semiconductor Research Corporation (SRC) का उनके जगह में.

वहीँ spectrum comparison के लिए, Verizon की initial 5G millimeter trials (साथ ही Qualcomm और Novatel Wireless को भी इस्तमाल किया जायेगा) केवल तब तक ही काम आ सकती है जब तक की spectrum 39GHz तक नहीं पहुँच जाता.

ComSenTer के Director “Ali Niknejad” जी का कहना है की “उनका यह center communication और sensing का next-generation lab हैं”, इसमें कोई दोहराहे नहीं है. और यही वो जगह है जहाँ से की 6G की उत्पत्ति होने वाली है.

इस research का मुख्य उद्देश्य ही है की कैसे एक network connection को terahertz range का बनाया जाये, जो की इनती ज्यादा fast और stable हो जिससे की वो data को 400 gigabites per second (Gb/s) से भी ज्यादा की speed में transmit कर सके.

यह एक ऐसा technology होगा जो की एक साथ ही हजारों wireless connections को simultaneously ही maintain कर सकेगा. साथ में इसकी 10 से लेकर 1,000 times ज्यादा capacity होगी 5G systems और network की तुलना में.
वहीँ इसके जरिये Medical imaging, augmented reality के साथ साथ Internet of Things (IoT) के sensing को भी बहुत से applications में इस्तमाल किया जा सकता है.

Spatial multiplexing एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होने वाला है 6G terahertz wireless का. ये वही है जिससे separate data signals को भेजा जाता है streams में — इसमें bandwidth को efficiently reuse किया जाता है continually.

MIMO antennas, का इस्तमाल भी होने वाला है, जिन्हें की अब Wi-Fi और 5G के trials में इस्तमाल हो रहा है. 6G kya hai ? इससे antennas को maximize किया जा सकता है, जो की multipath का advantage लेता है. वहीँ ये effciency को भी बढाता है.

Overall देखें तब terahertz को कम power की जरुरत होती है और वहीँ इसकी capacity भी बहुत होती है. Problems तो आनी ही है, लेकिन जितनी ज्यादा हम spectrum में जायेंगे वहां obstructions भी ज्यादा ही होंगे – क्यूंकि wavelength physically छोटे होने लगते हैं.

ये 6G की exploration जरुर से करनी चाहिए, क्यूंकि experts के अनुसार 5G आगे बढ़ने वाले IoT demand को पूर्ण नहीं कर सकता है. इसलिए 6G का आना उस समय में बहुत ही आवश्यक होने वाला है.

 

6G क्या है और 5G से कैसे बेहतर होगा? (What is 6G and how will it be better than 5G)

 

6G एक ऐसा नेटवर्क है जो ५ग से अधिक है । यह कुछ सेकंड में पूरा काम कर देगा। जो आये दिन टेक्निकल प्रॉब्लम आती है |

वो अब नहीं आएगी।इंडिया में बहुत देर से आएगी। इंडिया में अब जाकर कुछ एरिया में 5G नेटवर्क आया है अभी भी कुछ जगे आया नहीं है। उसके अलावा देश अभी ६ग की तयारी कर रहा है। वो तेजी से काम कर रहा है भविष्य को अच्छा बनाने में सहयोग कर रहा है।

 

 

6G का भविष्य (Future of 6g)

 

आने वाले समय में हमें 6G के सही इस्तमाल में जानने को मिलेगा. इन research groups तो अपने research में पूरी तरह से focused हैं और बहुत से technologies को जल्द से जल्द हमारे तक लाने में व्यस्त हैं.

वो दिन दूर नहीं जब हमें सभी sci-fi movies सच प्रतीत होने लगेंगे. ये केवल काल्पनिक बातें नहीं बल्कि सचचाई में तब्दील हो जाएँगी. आगे चलकर ये terahertz radio frequencies communication network का भाग्य पलटने वाला है.

लोगों के जरुरत के हिसाब से जैसे technologies में बदलाव देखने को मिल रहे हैं ऐसे में telecommunication sector में भी काफी नयी scope उपलब्ध हैं, ऐसे में जहाँ 5G अभी market में आने वाला है वहीँ दुसरे 6G की भी तैयारी अभी से करने लगे हैं.

 

6G नेटवर्क के क्या–क्या लाभ होंगे ? (What will be the benefits of 6G network)

 

  1. 6G इंटरनेट की रफ्तार 50 Mgbit/s से 100 Mgbit/s पर सेकंड की स्पीड होगी (1 Tbps तक) हो जाएगी।
  2. 6G इंटरनेट के जरिए बड़े से बड़े डेटा को आसानी से अपलोड, डाउनलोड या ट्रांसफर किया जा सकेगा।
  3. 6GB वाले फाइल या मूवी को 5-10 मिनट में डाउनलोड होती है, वो चंद सेकेंड में डाउनलोड होगी।
  4. हाई क्वॉलिटी वीडियो या गेम का मजा बिना किसी लैटेंसी और बिना पिंग के खेल पाएंगे।
  5. 6G नेटवर्क काम पावर consumption होगी।
  6. तेज रफ्तार इंटरनेट से रोबोट ऑटोमेटेड Cars और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन सभी को काफी स्पीड डाटा वितरण किया जा सकता है
  7. 6G Network के साथ 3THz Terahertz स्पीड होगी।

 

6G नेटवर्क के संभावित हानि (Potential Disadvantages of 6G Network)

 

  1. 6G सेल-लेस आर्किटेक्चर और मल्टी-कनेक्टिविटी का उपयोग करता है। इसलिए निर्बाध गतिशीलता और विभिन्न प्रकार के लिंक (THz, VLC, mmwave, उप-6GHz) के एकीकरण के लिए सही समयबद्धन की आवश्यकता है।
  2. टेक्निकल युनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन के अनुसार 6G आने के बाद हैकर्स यूजर्स का डाटा कुछ सेकेंडो में आसानी से हैक कर सकते हैं।
  3. 6G नेटवर्क के लिए 5G से ज्यादा छोटे छोटे टावर की जरूरत होगी।
  4. अल्ट्रा-बड़े पैमाने पर THz एंटीना लगाने की एक बड़ी चुनौती होगी। जिसके लिए उच्च बैंडविड्थ और बड़े पैमाने पर रिसर्च और संकल्प की आवश्यकता होती है।
  5. पर्याप्त मात्रा में 6G मोबाइल टॉवर न होने पर इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या बढ़ेगी।
  6. मोबाइल टॉवर्स को रेडियेशन के लिए खतरनाक माना जाता है, लिहाजा तमाम देशों में लोग इसका विरोध करते हैं।
  7. 5G नेटवर्क के लिए 3THz रेडियो फ्रीक्वेंसी की जरूरत होगी, इसे इस्तेमाल करने लायक बनाना आसान नहीं होगा।
  8. WHO के अनुसार रिडेयो फ्रिक्वेंसी बढ़ने से शरीर का तापमान बढ़ता है, लेकिन स्वास्थ्य को इससे ज्यादा नुकसान नहीं होगी।

 

FAQ- 6G के बारे में पूछे जाने वाले सवाल जवाब :-

 

6G Technology Kya Hai ?

 

6G ( Sixth– Generation Wireless ) नेटवर्क है और यह मौजूद 5G Fiveth जेरेशन वायरलेस नेटवर्क से 1000 गुना अधिक तेज होगा।

 

6G की स्पीड क्या होगी ?

 

नेक्स्ट जेरेशन सेलुलर नेटवर्क 6G में 3 TERAHERTZ तक के बैंड्स को सपोर्ट करेगा जिससे 1 TBPS अधिकतम स्पीड होंगी।

 

6G कैसे काम करता है ?

 

6G में टेराहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी तकनीक का उपयोग किया गया है।

 

6G कितना तेज है ?

 

सिडनी विश्वविधालय के एक वायरलेस संचार विशेषग्य के अनुसार 6G इन्टरनेट की स्पीड तक़रीबन 1 टेराबाइट /सेकंड या 8,000 गीगाबाइट/सेकंड की स्पीड से इन्टरनेट चलने में सक्षम होगा।

 

 

Conclusion

 

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख दोस्तों 6G kya hai ? जाने 5G से कैसे बेहतर होगा? जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.
यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

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