NATO का फुल फॉर्म क्या है? जाने नाटो (NATO) क्या है?

दोस्तों NATO का फुल फॉर्म क्या है? जाने नाटो (NATO) क्या है? :- रूस और यूक्रेन के बीच तनाव अपने चरम पर है. इन दोनों देशों के बीच कभी भी युद्ध छिड़ सकता है. यूरोपीय महाशक्तियां इन दोनों देशों के बीच उत्पन्न तनाव को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाना चाहती है. रूस और यूक्रेन के बीच पैदा हुए इस तनाव की वजह यूक्रेन का NATO में शामिल होने की घोषणा करना है. रूस नहीं चाहता कि नाटो सेनाएँ उसके पड़ोसी देश यूक्रेन तक अपनी पहुँच बनाएं. यूक्रेन का NATO में शामिल होने को रूस अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है, क्योंकि यूक्रेन की सीमा रूस के साथ लगती है.

यह न्यूज़ सुनने के बाद आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये NATO क्या होता है और NATO का कार्य क्या है? इसलिए आज के इस लेख में मै आपके साथ NATO से जुड़ी सभी जानकारियां शेयर करूंगी जिसे पढ़ने के बाद आपको नाटो से संबंधित सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे. तो चलिए बढ़ते हैं आगे और जानते हैं NATO की जानकारी हिंदी में.

 

NATO का फुल फॉर्म क्या है? जाने नाटो (NATO) क्या है?
TEJWIKI.IN

 

नाटो (NATO) क्या है? (What is NATO)

 

संगठन का नाम नाटो (NATO)
किसने स्थापना की अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन
कब 4 अप्रैल 1949
मुख्यालय ब्रुसेल्स बेल्जियम
उद्देश्य शामिल हुए देशों को साम्यवाद से बचाना और हमले के समय सहायता करना
कुल देश 30

यहां हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि नाटो एक सैन्य संगठन है जिसमें 30 देशों की सेना की मदद शामिल हैं। बताते चलें कि यह एक अंतर सरकारी सैन्य संगठन है जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को की गई थी। इसका दूसरा नाम अटलांटिक अलायंस है। इसके अंतर्गत एक देश अपनी सेना को दूसरे देश में भेजता है जहां पर उन्हें इंटरनेशनल ट्रेनिंग दी जाती है और साथ ही साथ उन्हें यह भी आदेश दिया जाता है कि हर परिस्थिति से सख्ती से निपटें।

 

नाटो का फुल फॉर्म (NATO Full Form)

 

नाटो (NATO) का फुल फॉर्म North Atlantic Treaty Organisation (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) है। हिंदी में इसे उत्तर अटलांटिक संधि संगठन कहते हैं। इसमें शामिल हुए देशों की संख्या 30 है।

 

नाटो का उद्देश्य क्या है? (What is the purpose of NATO)

 

नाटो की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की गई थी. इसका उद्देश्य यूरोप में शांति सुनिश्चित करना, इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और उनकी आजादी की सुरक्षा करना है. यह सब उस समय सोवियत संघ से उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के संदर्भ में किया गया था. सन 1949 में वाशिंगटन में गठबंधन की स्थापना संधि पर एक दर्जन यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए. यह अपने मित्र राष्ट्रों को लोकतंत्र, व्यक्तिगत आजादी और कानून के शासन के साथ-साथ विवादों के समाधान के लिए प्रतिबद्ध करता है.

महत्वपूर्ण रूप से संधि सामूहिक सुरक्षा के विचार को निर्धारित करती है, अर्थात किसी एक मित्र देश पर हमला होने की स्थिति में सभी मित्र देशों पर हमला माना जाएगा. अटलांटिक संधि संगठन यह सुनिश्चित करता है कि इसके यूरोपीय सदस्य देशों की सुरक्षा अविभाज्य रूप से उत्तरी अमेरिकी सदस्य देशों से जुड़ी हुई है. इसके साथ ही संगठन पूरे अटलांटिक में वार्ता और सहयोग के लिए एक अनूठा मंच भी प्रदान करता है.

 

नाटो की संरचना

NATO – नाटो संरचना मुख्य रूप से 4 अंगों से मिलकर बनी है नाटो के यह 4 अंग कुछ इस प्रकार हैं

 

परिषद

यह नाटो का सबसे उच्च स्तरीय अंग है जिसका निर्माण राज्य के मंत्रियों से मिलकर होता है और इस मंत्री स्तरीय की बैठक वर्ष में एक बार होती है|

 

उप परिषद

नाटो के इस अंग में नाटो से संबंध सामान्य हेतु वाले विषयों पर चर्चा की जाती है| यह परिषद द्वारा नियुक्त कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद से मिलकर बना है|

 

प्रतिरक्षा समिति

अंग में सदस्य देशों के प्रतिरक्षा मंत्रियों को शामिल किया जाता है| इसका मुख्य कार्य प्रतिरक्षा रणनीति तथा नाटो एवं गैर नाटो देशों में सैन्य संबंधी विषयों पर विचार विमर्श करना है|

 

सैनिक समिति

यह भी नाटो का ही एक अंग है और इसका कार्य परिषद एवं उसकी प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना होता है| इसमें सभी सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष शामिल होते हैं और विश्व की शांति पर विचार विमर्श करते हैं|

 

नाटो का इतिहास एवं सदस्य देश (NATO History, Member Country List)

 

साल 1945 में जब द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हो गया था तो उस टाइम पर सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका महाशक्ति बन गए थे। इस वजह से यूरोप में संभावित खतरे की संभावना बढ़ गई थी जिसको देखते हुए ही फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग देशों ने एक संधि की। इस संधि को बूसेल्स की संधि कहते हैं। इसके अनुसार यह निश्चित किया गया कि किसी भी देश पर अगर हमला होता है तो यह सभी देश एक दूसरे को सामूहिक रूप से सैनिक सहायता प्रदान करेंगे। इसके अलावा यह भी निर्धारित किया गया कि सामाजिक आर्थिक तौर पर भी यह एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

 

बाद में अमेरिका अपने आपको सबसे ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए सोवियत संघ की घेराबंदी करने लगा जिससे कि उसका प्रभाव खत्म किया जा सके। इसलिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि के एक प्रस्ताव की पेशकश की। इस संधि के अंतर्गत 1949 को दुनिया के 12 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली और डेनमार्क जैसे देश शामिल थे। इसके अलावा शीत युद्ध से पहले स्पेन, पश्चिम जर्मनी, टर्की और यूनान ने भी इसकी सदस्यता ले ली थी। बाद में जब शीत युद्ध खत्म हो गया था तो तब हंगरी, पोलैंड और चेक गणराज्य भी इसमें शामिल हो गए थे। इस तरह से फिर 2004 में 7 और देशों ने इसकी सदस्यता ली और मौजूदा टाइम में इसके अब 30 सदस्य बन गए हैं।

 

नाटो का मुख्यालय (NATO Headquarter)

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो नाटो का मुख्यालय यानी हेड क्वार्टर  बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में स्थित है।

 

नाटो की स्थापना क्यों की गई (Why was NATO Established)

 

जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ था तो उसके बाद पूरे यूरोप की आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो गई थी। इस गिरावट की वजह से वहां के लोगों की जिंदगी काफी ज्यादा प्रभावित हो गई थी। नागरिक निम्न स्तर का जीवन जीने के लिए मजबूर थे। सोवियत संघ ने इसे एक मौका समझते हुए इसका फायदा उठाना चाहा। वह तुर्की और ग्रीस में साम्यवाद को स्थापित करके वर्ल्ड के बिजनेस पर अपना कंट्रोल करना चाहता था।

सोवियत संघ अगर उस समय तुर्की पर जीत हासिल कर लेता तो तब उसका कंट्रोल काला सागर पर भी हो जाता। उसका उसे यह लाभ होता कि वह आसपास के सभी देशों पर आसानी के साथ साम्यवाद की स्थापना कर सकता था। इसके अलावा वह ग्रीस को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहता था। सोवियत संघ इस तरह से भूमध्य सागर के रास्ते से जो व्यापार किया जाता था, उस पर असर डाल सकता था। उसकी यह सोच काफी ज्यादा विस्तारवादी थी और अमेरिका ने उसको बहुत अच्छी तरह से आंक लिया था। उस दौरान अमेरिका के प्रेसिडेंट फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट का अचानक से निधन हो गया था। जिसकी वजह से राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन बने थे।

 

नाटो के महासचिव कौन है? (Who is the Secretary General of NATO)

 

वर्तमान में नाटो के महासचिव नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री Jens Stoltenberg हैं. उन्होंने 01 अक्टूबर 2014 को अपना पदभार संभाला. महासचिव के रूप में स्टोल्टेनबर्ग के मिशन को एक और चार साल के कार्यकाल के लिए बढ़ा दिया गया था, यानी कि वह 30 सितंबर, 2022 तक नाटो का नेतृत्व करेंगे.

 

NATO में देशों की लिस्ट (List of countries in NATO)

 

क्रमांक संख्या देश का नाम राजधानी
1. अल्बानिया टिराना
2. बुलगारिया सोफिया
3. बेल्जियम ब्रस्सल्स
4. कनाडा ओटावा
5. क्रोएशिया ज़ाग्रेब
6. चेक रिपब्लिक प्रेग
7. एस्तोनिया टेल्लीन
8. डेनमार्क कोपेनहेगन
9. जर्मनी बर्लिन
10. फ्रांस पेरिस
11. हंगरी बुडापेस्ट
12. आईसलैंड रिकजाविक
13. यूनान एथेंस
14. इटली रोम
15. लातविया रिगा
16. लिथुआनिया विल्नियस
17. लक्जमबर्ग लक्समबर्ग
18. मोंटेनेग्रो पोडगोरिका
19 नीदरलैंड एम्स्टर्डम
20. उत्तर मेसेडोनिया स्कोप्जे
21. नॉर्वे ओस्लो
22. पुर्तगाल लिस्बन
23. पोलैंड वॉरसॉ
24. रोमानिया बुचारेस्ट
25. स्लोवेनिया ल्युब्ल्याना
26. स्लोवाकिया ब्राटिस्लावा
27. स्पेन मैड्रिड
28. तुर्की अंकारा
29. यूनाइटेड किंगडम लंदन
30. संयुक्त राज्य अमेरिका वाशिंगटन DC

 

ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine)

 

अमेरिका ने शीत युद्ध के टाइम पर सोवियत संघ का विस्तार रोकने के लिए एक प्रस्ताव को रखा था। इसे ट्रूमैन सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाने के साथ-साथ सभी यूरोपीय देशों की मदद करना था। इस सिद्धांत के अंतर्गत अमेरिका ने उन सभी देशों की सहायता करने का फैसला लिया था जिनको साम्यवाद से काफी खतरा था।

आपको बता दें कि नाटो संगठन को अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने ही संकलित किया था। इस गठन में वह सभी देश शामिल किए गए जो लोकतंत्र को बचाने में विश्वास रखते थे और जिन्हें साम्यवाद से खतरा था। नाटो के तहत यह निर्णय किया गया था कि इसमें शामिल सभी सदस्य देशों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा।

अगर किसी सदस्य देश पर कोई हमला करता है तो वह हमला उस संगठन पर होगा और इसीलिए वे सब मिलकर उसका सामना करेंगे। बताते चलें कि मार्शल स्कीम के अंतर्गत तुर्की और ग्रीस को लगभग 400 मिलियन डॉलर की मदद दी गई और साथ ही साथ उन दोनों को नाटो का मेंबर भी बनाया गया। यह एक ऐसी नीति थी जिसकी वजह से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच बहुत लंबे अरसे तक शीत युद्ध चलता रहा। तो इस तरह से नाटो का गठन किया गया।

 

 

FAQ-  नाटो (NATO) के बारे में अक्सर पूछे जाने सवाल जवाब :-

 

प्रश्न –: नाटो (NATO) क्या है ?

 

उत्तर –: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) उत्तरी अटलांटिक संधि द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है। जिस पर 4 अप्रैल 1949 को संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। उत्तरी अटलांटिक संधि को वाशिंगटन संधि के नाम से भी जाना जाता है।

 

प्रश्न –: NATO नाटो की स्थापना कब हुई थी ?

 

उत्तर –: नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को की गई थी।

 

प्रश्न –: NATO का फुल फॉर्म क्या है ?

 

उत्तर –: NATO का फुल फॉर्म North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) है। जिसे उत्तरी अटलांटिक गठबंधन भी कहा जाता है।

 

प्रश्न –: NATO के संस्थापक सदस्य कौन से हैं ?

 

उत्तर –: NATO नाटो के संस्थापक सदस्य हैं। – बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

 

प्रश्न –: नाटो का मुख्यालय कहां स्थित है ? (NATO Headquarter)

 

उत्तर –: NATO का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में स्थित है। जहां सुप्रीम एलाइड कमांडर रहता है।

 

प्रश्न –: नाटो क्या करता है ?

 

उत्तर –: नाटो सामूहिक रक्षा की एक प्रणाली का गठन करता है जिसके तहत उसके सदस्य राज्य एक गैर-सदस्य बाहरी पार्टी के हमले के जवाब में आपसी रक्षा के लिए सहमत होते हैं।

 

प्रश्न –: उत्तरी अटलांटिक संधि का अनुच्छेद 5 क्या है ?

 

उत्तर –: उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद पांच में कहा गया है कि यदि गठबंधन के एक सदस्य पर यूरोप या उत्तरी अमेरिका में हमला किया जाता है, तो इसे सभी सदस्यों पर हमला माना जाना चाहिए। इसने पश्चिमी यूरोप को अमेरिका के “परमाणु छत्र” के तहत प्रभावी रूप से डाल दिया।

 

प्रश्न –: वर्तमान में नाटो के कितने सदस्य देश हैं ?

 

उत्तर –: वर्तमान में 30 देश उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य हैं।

 

प्रश्न –: क्या भारत NATO का सदस्य देश है ?

 

उत्तर –: भारत नाटो के सदस्य देशों का हिस्सा नहीं है।

 

प्रश्न –: हाल ही में, कौन सा देश नाटो का सदस्य देश बना है ?

उत्तर –: उत्तर मैसेडोनिया 27 मार्च 2020 को हाल ही में नाटो का सदस्य देश बना है।

 

Conclusion

 

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख NATO का फुल फॉर्म क्या है? जाने नाटो (NATO) क्या है? जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.
यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

Leave a Comment