Antivirus क्या है? Antivirus कितने प्रकार के होतें हैं पूरी जानकारी

दोस्तों, क्या आप को पता है है, Antivirus क्या है? (What is Antivirus in Hindi) और ये कैसे काम करता है. इसके साथ साथ आपको ये भी जानकारी दी जाएगी की आपके Computer और Mobile Phone के लिए Best Antivirus मतलब free और paid दोनों में से कोन से अच्छे हैं. जब भी इस दुनिया में दानव थे तब उनको रोकने के लिए देवता भी थे. वैसे ही आज के समय में भी Antivirus देवतों जैसे काम करते हैं Computer के लिए.

आप अपने Computer में ना जाने कितनी Memories और Personal data Store करके रखते होंगे. personal डाटा जैसे Image, Videos, Movies, Mp3 files और इसके साथ साथ कुछ Personal Document भी होते हैं “PDF Files, Scaned Files, Certificate”. लेकिन आप की लापरवा की वजह से Internet और कुछ दुसरे Source जैसे Pen drive से आपके Computer में Computer Virus घुस जाते हैं. इसके बाद क्या होता है आप भली भाती जानते होंगे. आप जितने भी Data अपने Computer में Store किये थे वो सब गायब भी हो जाते हैं या File corrupt हो जाते हैं.

जब ये घटना आपके साथ हो जाती है, आपको तभी याद आता है कास मैं अपने System में Antivirus Install कर देता तो ये दिन देखना नहीं पड़ता. तो दोस्तों उमीद है ये घटना अब तक आपके साथ नहीं हुई होगी तो चलिए आज मैं इन सभी Problems का Solution आपको इस लेख में बताऊंगा के Antivirus क्या है. तो चलिए सुरु करते हैं. 

Antivirus क्या है? Antivirus कितने प्रकार के होतें हैं पूरी जानकारी
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Antivirus क्या है? (What is Antivirus in Hindi) 

सरल शब्दों में समझें तो “एंटीवायरस वह सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर में गुप्त सभी Virus प्रोग्राम को डिलीट करने का कार्य करता है.” Antivirus को Anti-Malware सॉफ्टवेयर के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि यह सिस्टम में Malware, Spyware आदि द्वेषपूर्ण प्रोग्राम्स का पता लगाने तथा उन्हें डिलीट करने में सक्षम होता है.

Antivirus को मुख्यतः सिस्टम में छुपे वायरस का पता लगाने तथा उसे नष्ट करने के लिए निर्माण किया गया हैं. वर्तमान समय में अत्याधुनिक तकनीक के एंटीवायरस किसी सिस्टम में Adware, Spyware, Ransomware, Keyloggers, Backdoors, Trojan Horse आदि दुर्भाग्यवश प्रोग्राम से यूज़र के डेटा को सुरक्षित करता है. इसके साथ ही आपका यहाँ जानना जरूरी है Antivirus का इस्तेमाल न सिर्फ कंप्यूटर सिस्टम में बल्कि वर्तमान समय में सोशल इंजीनियरिंग, इंटरनेट बैंकिग, फिशिंग आदि से होने वाले ऑनलाइन हमलों से उपयोगकर्ता को बचाने के उद्देश्य से अनेक स्थानों पर किया जा रहा है.

अब सवाल आता है कि Antivirus किस तरह सिस्टम को Virus से बचाता है? आखिर एंटीवायरस कैसे कार्य करता है? कोई भी एंटीवायरस अपने डेटाबेस में उपलब्ध जानकारी को फाइल्स के रूप में स्कैन करता है. Antivirus क्या है? यदि डेटाबेस में कोई पैटर्न समान (Duplicate) होता है तो इस स्थिति में एंटीवायरस उसे वायरस का नाम देता है.

जब भी कोई फाइल या प्रोग्राम सिस्टम में इनस्टॉल होता है तो एंटीवायरस उस फाइल या सॉफ्टवेयर को स्कैन करता है. यदि इनमें से कोई फ़ाइल या प्रोग्राम एंटीवायरस प्रोग्राम के विशिष्ट सूचक से मेल खाता है. तो एंटीवायरस उस प्रोग्राम को वायरस की श्रेणी में वर्गीकृत कर देता है. हालाँकि वायरस स्कैन करने के लिए प्रत्येक एंटीवायरस प्रोग्राम की भिन्न-भिन्न कार्य प्रणाली होती है.

जब एंटिवायरस द्वारा किसी वायरस अथवा बग को पहचान लिया जाता है. तब यह प्रोग्राम युजर को इस खतरनाक प्रोग्राम की जानकारी उपलब्ध करवाता है. और इसके साथ किये जाने वाले सलूक के विकल्प भी उपलब्ध करवाता हैं. युजर अपनी जानकारी और सुझाए गए विकल्पों के आधार पर किसी एक विकल्प का चुनाव करके वायरस को नष्ट कर देता है. इस तरह हमारा कम्प्युटर पुन: सुरक्षित हो जाता हैं.

एंटीवायरस का इतिहास क्या है (History of Antivirus in Hindi) 

आज से 70 वर्ष पूर्व पहले कंप्यूटर वायरस का जन्म हुआ तथा पहला ज्ञात कंप्यूटर वायरस क्रीपर वायरस के नाम से जाना गया उस समय मेनफ्रेम कंप्यूटर प्रचलन में थे. तो यह वायरस मेनफ्रेम कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित करता था. इस वायरस को हटाने के लिए अनेक शोध कार्य किये गए.

अंततः “रे टॉमलिंसन” द्वारा क्रीपर वायरस को नष्ट करने के लिए एक प्रोग्राम बनाया गया जिसे “द रीपर” के नाम से भी जाना जाता था. क्रीपर वायरस के बाद अनेक वायरस का जन्म हुआ तथा वर्ष 1981 में “एल्क क्लोनर” नामक ज्ञात वायरस उत्पन्न हुआ जिसने एप्प्ल कंपनी के दूसरी सीरीज के कंप्यूटर पर वायरस हमला किया.

1980 के दशक से पूर्व इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित थी जिस वजह से संक्रमित फ्लॉपी डिस्क के जरिए एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में वायरस फैलते थे. परन्तु इंटरनेट के बढ़ते विकास की वजह से वायरस ऑनलाइन तेजी से फैलने लगे.

वर्ष 1987 में “एंड्रियास ल्युनिंग” तथा “काई फेज़” नामक व्यक्ति द्वारा पहला एंटीवायरस उत्पाद लॉन्च किया गया. वर्ष 1987 में ही McAfee कंपनी द्वारा Virus Scan नामक एंटीवायरस का पहला Version लॉन्च किया गया. McAfee इंटेल सुरक्षा कंपनी का एक हिस्सा थी.

समय के साथ वर्ष 1988 तक कई एंटीवायरस निर्माण करने वाली कंपनियों की संख्या में वृद्धि होती गई. वर्ष 1987 में “फ्रेड कोहन” द्वारा कहे गए कथन के अनुसार “ऐसा कोई अल्गोरिथम नहीं है जो पूर्ण रूप से संभावित कंप्यूटर वायरस की जानकारी प्रदान कर सके” परन्तु वर्तमान समय में एंटीवायरस के जरिये काफी हद तक इन गुप्त वायरस के बारे में जानकारी प्राप्त कर नष्ट किया जा सकता है.

1990 में कंप्यूटर एंटीवायरस अनुसंधान संगठन (CARO) की स्थापना की गई. 1992 में AVG तकनीक का विकास किया गया. तथा इसी वर्ष एन्टी-वायरस गार्ड अर्थात प्रचलित AVG एंटीवायरस का पहला संस्करण लॉन्च किया गया. Antivirus क्या है? इस प्रकार समय के साथ विभिन्न कंपनियों द्वारा एंटीवायरस प्रोग्राम के निर्माण की ओर ध्यान दिया.

Antivirus कितने प्रकार के होतें हैं (What are the types of Antivirus) 

अगर हम एंटीवायरस के प्रकार की बात करे तो ज्यादातर लोग तीन तरह के Antivirus का प्रयोग करते हैं जो कि उनके द्वारा प्रयोग होने वाले कंप्यूटर system की उपयोगिता या उन पर होने वाले कार्यो पर निर्भर करता हैं एंटीवायरस के प्रकार निम्नलिखित हैं:-

1- Anti-Virus: अगर आपके पास एक घरेलू कंप्यूटर हैं जिसका उपयोग आप बहुत कम करते हैं और उसपर इन्टरनेट का इस्तेमाल भी कभी कभी करते हैं तो आपको साधारण Anti-Virus का use करना चाहियें यह आपके System को Security, Performance, Simple-file को सुरक्षा प्रदान करता हैं।

2- Internet Security: इसमें आपको Security, Performance, Simplicity के साथ साथ money और Privacy की भी सुरक्षा मिलती हैं अगर आप Computer पर इन्टरनेट का इस्तेमाल अधिक या रोज करते हैं और इन्टरनेट banking का use भी करते हैं तो आपको internet security anti-virus का प्रयोग करना चाहियें।

3- Total Security: क्यों की ये Total security इसलिए आपको इसमें पूरी सुरक्षा मिलती हैं इसमें आपको online और offline दोनों security मिलती हैं total security anti-virus में Security, Performance, Simplicity, Privacy PC, Mac, Mobile, password और File Protection option मिलतें हैं जिसकी सहायता से आप अपने system को fully secure कर सकते हैं।

Antivirus किन किन तरीकों से Malware का पता लगाता है (How Antivirus Detects Malware) 

सबसे कठिन काम तो यही है की पुरे System में 500-1000 GB का DATA रहता है. और उसमे से virus को ढूंड निकलना तो चलिए जानते हैं किन किन तरीकों से ये पता लगाता है.

Signature-based detection
Heuristic-based detection
Behavioral-based detection
Sandbox detection
Data mining techniques

#1 Signature-Based Detection

ये एक सबसे पुराना तरीका है, COMPUTER Virus को ढूंड निकाल ने का. जिसमे computer में जितने भी .Exe Files हैं उन सभी को Virus Definition Files के साथ match करना पड़ता है या दुसरे malware type के साथ मैच किया जाता है. जब भी कोई unknown file को पहचान जाता है तब उसके उपर Action लिया जाता है.

इस Signature based technique में सारे प्रोग्राम को scan किया जाता हैं. इस technique में अगर कोई application download किये हो तो सबसे पहले software को Scan किया जाता है. इसके बाद Install किया जाता है. इसलिए यही सलाह है की जब भी आप कोई software को download करते हो तब उसको पहले ही scan कर लें. क्यूंकि एक बार जब आपका system Infected हो जाता है तो उसको Remove करना मुस्किल काम हो जाता है.

#2 Heuristic-Based Detection

ये detection technique को और Signature based detectction को मिलके इस्तेमाल किया जाता है. Heuristic technique को आज कल के सारे Antivirus में Use किया जाता है. virus definition file नहीं होने पे भी इस technology की मदद से आसानी से नए और पुराने Virus को भी खोज के निकला सकते है. इसके लिए latest virus definition होने की आवस्यकता नहीं.

Heuristic में ये एक संदेह जनक code या application को Virtual Environment में रन करता है और इसे ये पता लगता है की कोनसा program इस application को effect डालने की कोसिस कर रहा है. इस तरीके से दुसरे Real Software को भी बचाया जा सकता है.

#3 Behavioral-based detection

ये भी Virus को ढूंड निकालने का एक खास Detection तरीका है. जिसको Intrusion Detection Mechanism भी बोला जाता है. इसकी खासियत यह है की malaware के व्यवहार (Behavior) को detect करता है. malware को ये तभी detect करता है जब व दुसरे files को currupt या कोई उल्टा पुल्टा कम करने की कोसिस करता है. लेकिन ये खूबी दुसरे Detection में mechanism नहीं है.

#4 Sandbox Detection

लगभग Behavioral based detection mechanism पे ही ये काम करता है. इस mechanism में एक program को Virtual Environment में Run किया जाता है. अब इस process में program के Behavior को Identify किया जाता है. अगर anti virus को पता चलता है की ये program Malicius है तो उसपे action लिया जाता है.

#5 Data Mining Techniques

ये अब के समय का सबसे Latest Trending Technology है. जिसमे कुछ ख़ास Programs के Features होते हैं. data mining technique से Program Malicious है या नहीं ये पता लगाया जाता है.

एंटीवायरस कैसे काम करता है? (How does Antivirus work)

जब हम अपने कंप्यूटर में एक एंटीवायरस इनस्टॉल करते हैं तब यह हमारे कंप्यूटर में मौजूद सभी फाइल्स को स्कैन करता है. स्कैन करते समय हर एक फाइल्स को अलग-अलग तरीके से स्कैन करते है ताकि कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइल और वायरस के बीच अंतर पता चल सके और फिर इस तरह से यह कंप्यूटर में मौजूद डेटा फ़ाइल में वायरस की पहचान करके उन्हें नष्ट कर देता है.

जैसा की हमने आपको ऊपर बताया कि किसी सिस्टम में वायरस की पहचान अलग-अलग तरीकों से सकैन करके करता है. किन तरीकों से करता है वह निम्लिक्खित है:

  • Heuristic-Based Detection
  • Sandbox Detection
  • Signature-Based Detection
  • Data Mining Techniques
  • Behavioural-Based Detection

Antivirus की विशेषताएँ (Feature of  Antivirus ) 

Background Scanning

हम आमतौर पर सिस्टम के बैक-एन्ड पर कई फाइल ओपन रखते हैं. एक एंटीवायरस प्रोग्राम उन सभी फाइल्स को स्कैन करता है जो सिस्टम को दुर्भाग्यपूर्ण हमलों से सुरक्षित रखने के साथ ही Real-Time सुरक्षा प्रदान करता है. अतः बैकग्राउंड स्कैनिंग द्वारा एंटीवायरस कम्प्युटर को सुरक्षा प्रदान करता है.

Full System Scan

Full System Scanning विशेषकर तब फ़ायदेमंद होती है जब आपके द्वारा सिस्टम में एंटीवायरस को अपडेट किया होता है. एंटीवायरस द्वारा सिस्टम को स्कैन कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि कंप्यूटर में पहले से वायरस मौजूद है अथवा नहीं. इसके साथ ही वायरस से संक्रमित कंप्यूटर सिस्टम को दुरुस्त करने के बाद फुल सिस्टम स्कैनिंग महत्वपूर्ण होती है.

Virus Definition

जी हाँ एक एंटीवायरस प्रोग्राम Malware की पहचान करने के लिए Virus की परिभाषा का उपयोग करते हैं. किसी फाइल या सॉफ्टवेयर को स्कैन करने के दौरान सिस्टम यदि किसी मैलवेयर से ग्रस्त किसी फ़ाइल को ढूंढता है तो मैलवेयर परिभाषा में वह मैलवेयर के समान होता है. अतः एंटीवायरस परिभाषा के आधार Malware को रोकने के साथ ही नष्ट भी कर सकता है.

List of Antivirus Programs

  • Bitdefender Antivirus Plus
  • Norton Antivirus Basic
  • Webfoot Secure Anywhere Antivirus
  • ESET NOD32 Antivirus
  • F-Secure Antivirus SAFE
  • McFee Antivirus

एंटीवायरस वायरस को कैसे निकालता हैं (How Does Antivirus Software Works) 

यहाँ मैं आपको बताना चाहता हूँ कि Virus भी एक प्रकार का Program (Code) या Software होता हैं बहुत से लोगो का यह भी मानना है कि जो company Antivirus बनाती हैं वही वायरस भी बनती हैं क्युकी अगर Virus नहीं होगा तो antivirus कौन खरीदेगा।

जब आप कोई antivirus software खरीदतें हैं तो आपको एक CD या Email पर Downloading Link भेजा जाता हैं जिसकी सहायता से आप एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपने PC या Laptop में install करते हैं आपके द्वारा install software में पहले से ही कई anti program code या File मौजूद होती हैं जो आपके पूरे system को Scan करके उसमे मौजूद file को अपने प्रोग्राम कोड से match करते हैं और Virus या malware का पता लगते हैं।

Antivirus निम्नलिखित तरीको से virus का पता लगते हैं:-

  • Date Mining Techniques
  • Sandbox Detection
  • Behavioral Based Detection
  • Heuristic Based Detection
  • Signature Based Detection

उपरोक्त तरीकों की मदद से एंटीवायरस आपके कंप्यूटर या लैपटॉप में गुप्त Adware, Spyware, Ransomware, Key-loggers, Back-doors, Trojan Horse आदि virus file का पता लगातें हैं और उन्हें Repair या Delete करते हैं।

Computer में Antivirus होने से लाभ 

इसमें कोई प्रश्न ही नहीं उठता की क्या इसके कोई फायदे हैं? हाँ अभी के समय में Internet में इतना ज्यादा malware attack हो रहा है. इसलिए आपको free वाला या paid वाला दोनों में से कोई एक को जरुर अपयोग करें.

  • सबसे पहले तो ये आपके सारे डाटा को सुरक्षित रखता है.
  • computer से कोई भी आपके Data को Internet से कोई भी चुरा नहीं सकता.
  • कोई भी Software को आप बे झिजक Download कर सकते हो.
  • कोई computer virus आपके Computer को नुकसान करने से पहले ये अपना करवाई उसके उपर कर देता है.
  • अगर paid वाला हैं, तो आपके सारे Online Transaction भी सुरक्षित होंगे.
  • इस्से आपके पैसे बचेंगे क्यूंकि malware जो नुकसान होगा उन पैसे से तो आप दो तिन Antivirus खरीद लोगे.
  • आपका System कभी Hang या Slow नहीं होगा
  • System Software और Application Software बहुत Smooth Run होंगे.
  • Processing Speed बढ़ जाएगीं और कभी system crash भी नहीं होगा.
  • Hard Disk Corrupt होने को संभावना भी कम है.

Antivirus को Update करना क्यूँ जरुरी है (Why Updating Antivirus is Important) 

हर रोज नए नए Virus बन रहें कुछ लोगों का ये भी कहना है. जो Company anti Virus बनाती हैं वही Virus भी बनाते हैं. लेकिन इसलिए आपको नए virus के attack से बचने के लिए हर रोज Update करना बहुत जरुरी है. update से latest definition files भी स्टोर हो जाएँगी और new virus को identify और block करने में आसानी होगी.

Conclusion

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख Antivirus क्या है? Antivirus कितने प्रकार के होतें हैं पूरी जानकारी जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

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