नाटो (NATO) क्या है? नाटो में कितने सदस्य देश है? की पूरी जानकारी

दोस्तों  नाटो (NATO) क्या है? NATO full form क्या होती है और इसके सदस्य देश (nato members or nato countries) कौन-कौनसे हैं? यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान नाटो पर चर्चा हो रही है. रूस ने यूक्रेन पर इसलिए हमला किया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने। जबकि यूक्रेन ने नाटो (NATO) का सदस्य बनने की कोशिश की थी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर नाटो नाम का यह संगठन क्या है, इसमें कौन से देश शामिल हैं और यह कैसे काम करता है। आइए जानते हैं।

यूक्रेन (Ukraine) में रूसी (Russia) हमले की आशंका के चलते कहा जा रहा था कि नाटो देशों ने अपनी सेना भी तैयार कर ली है। लेकिन हकीकत यह है कि रूस के हमले का सामना अकेला यूक्रेन ही कर रहा है। नाटो के पश्चिमी सैन्य गठबंधन के महासचिव जनरल जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने एक बयान जारी कर कहा था कि नाटो (NATO) मित्र देशों की रक्षा के लिए आवश्यक सभी कदम उठाएगा। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ दिख रहा है।

तो आइए जानते है ये नाटो (NATO) क्या है और यह कैसे काम करता है और इसमें कौन-कौन से देश शामिल हैं? nato kya hai, nato me kaun-kaunse desh shamil hai, nato cuntries, nato members

नाटो (NATO) क्या है? नाटो में कितने सदस्य देश है? की पूरी जानकारी
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नाटो (NATO) क्या है (What is NATO) 

नाटो एक 30 देशों की सेनाओं का संगठन है, जिसमें की सैन्य सहायता प्रदान की जाती है | इसमें एक देश की सेना दूसरे देश में भेजी जाती है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग प्रदान की जाती है और हर एक परिस्थति से निपटने का सख्त आदेश दिया जाता है | नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी | यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस के नाम से भी जाना जाता है |

सन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया | इस विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दो देश महाशक्ति बन उभरे | यूरोप में संभावित खतरे को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्सेमबर्ग ने एक संधि की जिसे बूसेल्स की संधि के नाम से जाना जाता है | इसमें यह निर्धारित किया गया कि किसी भी देश पर हमला होने पर वह सभी एक- दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक-आर्थिक सहयोग देंगे | 

अमेरिका बर्लिन में सोवियत संघ की घेराबंदी और सोवियत प्रभाव को समाप्त करने के लिए सैनिक गुटबंदी करने के लिए आगे आया | उसने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत उत्तर अटलांटिक संधि का प्रस्ताव पेश किया जिसमें सन 1949 को फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 12 देशों ने हस्ताक्षर किए | शीत युद्ध से पूर्व यूनान, टर्की, पश्चिम जर्मनी, स्पेन ने इसकी सदस्यता ली इसके बाद शीत युद्ध समाप्त होने के बाद पोलैण्ड, हंगरी, और चेक गणराज्य इसमें शामिल हुए इसके बाद सन 2004 में सात अन्य देशों ने इसकी सदस्यता स्वीकार की | वर्तमान समय में इसके 30 सदस्य है |

नाटो का मुख्यालय kahan hai (NATO Headquarters) 

नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में हैं |

NATO का फुल फॉर्म (NATO full form) 

NATO का फुल फॉर्म का North Atlantic Treaty Organization (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) है, इस संगठन में कुल 30 देश शामिल है |

नाटो की स्थापना (Establishment) क्यों हुई ? (Why was NATO established) 

द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद सम्पूर्ण यूरोप की आर्थिक स्थिति में बहुत ही गिरावट देखी गयी जिससे वहां के नागरिकों का दैनिक जीवन निम्न स्तर का हो गया था | इसका लाभ उठाने के लिए सोवियत संघ ने ग्रीस और तुर्की पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहा वहां पर साम्यवाद की स्थापना करके विश्व के व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता था |

यदि सोवियत संघ तुर्की को जीत लेता तो उसका नियंत्रण काला सागर पर हो जाता जिससे आस- पास के सभी देशों पर साम्यवाद की स्थापना करना आसान हो जाता है, इसके साथ ही सोवियत संघ ग्रीस पर भी अपना नियंत्रण करना चाहता था | जिससे वह भूमध्य सागर के रास्ते होने वाले व्यापार को प्रभावित कर सकता था | सोवियत संघ की इस विस्तार वादी सोच को अमेरिका ने अच्छी तरह से समझ लिया | उस समय अमेरिका के 33 वें राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन थे, जिन्होंने फ्रैंकलिन डेलानो रूज़वेल्ट के अकस्मात निधन के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे |

नाटो (NATO) का उद्देश्य (Objective of NATO) 

  1. यूरोप पर आक्रमण के दौरान एक बाधा के रूप में कार्य करना।
  2. पश्चिमी यूरोप में सोवियत संघ के तथाकथित विस्तार को रोकना और युद्ध की स्थिति में लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
  3. सैन्य और आर्थिक विकास के लिए अपने कार्यक्रमों के माध्यम से यूरोपीय राष्ट्रों के लिए एक सुरक्षात्मक छाता प्रदान करना।
  4. पश्चिमी यूरोप के देशों को एक सूत्र में संगठित करना।
  5. इस प्रकार नाटो का उद्देश्य साम्यवाद के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में “मुक्त दुनिया” की रक्षा करना था और यदि संभव हो तो, साम्यवाद को हराने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता के प्रति।
    नाटो के 6 सदस्य देश एक दूसरे के देशों के बीच सुरक्षा बलों के रूप में कार्य करते हैं।

NATO में कौन-कौनसे देश शामिल हैं? (Which countries are included in NATO) 

जब नाटो का गठन किया गया था, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे और पुर्तगाल इसके 12 संस्थापक सदस्य थे। वर्तमान में इसके सदस्यों (NATO Countries) की संख्या 30 है। उत्तर मैसेडोनिया वर्ष 2020 में शामिल होने वाला सबसे नया सदस्य है।

ये देश हैं:- अल्बानिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक प्रतिनिधि, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्रांस जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मोंटेनेग्रो, नीदरलैंड, उत्तरी मैसेडोनिया, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया , स्लोवेनिया, स्पेन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य।

Albania, Belgium, Bulgaria, Canada, Croatia, Czech Rep, Denmark, Estonia, France Germany, Greece, Hungary, Iceland, Italy, Latvia, Lithuania, Luxembourg, Montenegro, Netherlands, North Macedonia, Norway, Poland, Portugal, Romania, Slovakia, Slovenia, Spain, Turkey, United Kingdom, United States.

ट्रूमैन सिद्वान्त (Truman Doctrine) 

शीतयुद्ध के समय सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के लिए अमेरिका ने एक सिद्वान्त का प्रस्ताव रखा इस प्रस्ताव को ट्रूमैन सिद्वान्त (Truman Doctrine) के नाम से जाना गया | इस प्रस्ताव में सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना और यूरोपीय देशों की सहायता करना था | इनके कार्यकाल में मार्शल योजना को भी लागू किया गया और नाटों की स्थापना की गयी |

हैरी एस ट्रूमैन सिद्धांत के द्वारा अमेरिका ने ऐसे देशों की सहायता करने का निर्णय लिया जिस देश को साम्यवाद से खतरा था | नाटो के गठन की संकल्पना राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन की ही थी इसमें उन सभी देशों को शामिल किया गया जो लोकतंत्र को बचाना चाहते थे और जिनके लिए साम्यवाद एक बड़े खतरे के रूप में था | इसमें यह निर्णय लिया गया कि सदस्य देशों में से किसी एक पर भी हमला होता है, तो वह हमला स्वयं पर माना जायेगा और सब मिलकर इसका मुकाबला करेंगे | मार्शल योजना के तहत ग्रीस और तुर्की को 400 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की गयी और उन दोनों देशों को नाटो का सदस्य बनाया गया | इस नीति के कारण सोवियत संघ और अमेरिका के बीच लम्बे समय तक शीत युद्ध चला | इस प्रकार से नाटों का गठन हुआ |

नाटो की भूमिका एवं स्वरूप (Role and nature of NATO) 

  1. नात की प्रकृति और भूमिका को इसके संधि प्रावधानों के आलोक में समझा जा सकता है। हस्ताक्षरकर्ता, जैसा कि संधि की शुरुआत में कहा गया है, स्वतंत्रता, ऐतिहासिक विरासत, अपने लोगों की सभ्यता, लोकतांत्रिक मूल्यों, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सदस्य राज्यों के कानून के शासन की रक्षा करने की जिम्मेदारी लेंगे। इन राष्ट्रों का यह कर्तव्य होगा कि वे एक-दूसरे का सहयोग करें, इस प्रकार यह सन्धि एक सहकारी सन्धि का रूप धारण कर ली।
  2. संधि के प्रावधानों के अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि संधि के किसी एक देश या एक से अधिक देशों पर हमले की स्थिति में, इसे सभी हस्ताक्षरकर्ता देशों पर हमला माना जाएगा और सभी हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्र एकजुट होंगे। और सैन्य कार्रवाई के माध्यम से इस स्थिति को हल करें। प्रतिस्पर्धा करेंगे इस दृष्टि से, उस संधि की प्रकृति सदस्य देशों को एक सुरक्षा छाता प्रदान करने वाली है।
  3. सोवियत संघ ने नाटो को साम्राज्यवादी और आक्रामक देशों का एक सैन्य संगठन कहा और इसे प्रकृति में कम्युनिस्ट विरोधी घोषित किया।

Conclusion  

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