TRP क्या है, TRP Full Form TRP की पूरी जानकारी (In Hindi)

दोस्तों नमस्कार, आज हम बात करेंगे  TRP क्या है, TRP Full Form TRP की पूरी जानकारी (In Hindi)TRP Full Form in Hindi, Full Form क्या है? TRP का Full Form क्या है, TRP का पूरा नाम है?, TRP क्या है ? और हिंदी में क्या अर्थ होता है, ऐसे सभी सवालों के जबाब आपको इस Post में मिल जायेंगे. TRP क्या है? और इसका TV TRP full form क्या होता है? मै इसके के बारे में विस्तार से  बताने वाला हूँ. अगर आप TV देखते होगे तो आप TRP के बारे में जरुर सुना होगा. हम सभी जानते है

India में 200 से भी ज्यादा TV Channels है और घर में अगर जितने भी लोग होते है सभी अपने हिसाब से अपना मनपसंद channel देखना पसंद करते है. कोई Cricket, कोई Comedy Nights with Kapil Sharma तो कोई Nagin जैसे serial देखना पसंद करता है.ऐसे में TV Channel की popularity का पता लगाने के लिए TRP बनाया गया. अगर आपको Aaj Tak TRP जानना है या इसके जैसे किसी और news channel का तो आप TRP Calculator की मदद से बहुत आसानी से उसकी popularity पता कर सकते है.

अक्सर लोग कहते है की The Kapil Sharma Show का TRP बहुत ज्यादा है और दुसरे Serial का कम है. But बहुत कम ही लोग जानते है की TRP Kya Hota Hai (क्या होता है)? और किस लिए Use होता है. अगर आप भी TRP के बारे में नहीं जानते है तो आप बिलकुल सही जगह है. क्योकि आज आपको इसके बारे में पूरी जानकारी मिल जायेगा और आपको पता चल जायेगा की टी आर पी क्या है ?और इसे कैसे Check किया जाता है|

TRP क्या है, TRP की पूरी जानकारी (In Hindi)
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TRP क्या होता है? (What is TRP)

आजकल टेलीविजन पर अपना मनपसंद धारावाहिक, न्यूज और मूवी देखना हर कोई पसंद करता हैं| जिसके लिए उन्हें टीवी पर काफी समय व्यतीत करना पड़ता है, अर्थात टीवी के सामने बैठे रहते हैं | उनका अधिक टीवी देखना ही टीआरपी को प्रभावित करता है क्योंकि, यह  टीवी से जुड़ा एक ऐसा टूल है, जिसकी सहायता से यह जानकारी प्राप्त होती है कि मुख्य रूप से किस टीवी शो को कितने लोग पसंद कर रहे हैं| टीआरपी के माध्यम से यह जानकारी भी प्राप्त होती है, कि किस शो को दिन में  कितने बार देखा गया है| इसके साथ ही यह जानकारी भी प्राप्त होती है, कि किस सीरियल सबसे अधिक देखा जा रहा है |

TRP Full Form in Hindi – टी. आर. पी. क्या होता है

TRP की फुल फॉर्म Television Rating Point होती है. यह एक उपकरण है जो एक टेलीविजन कार्यक्रम की लोकप्रियता को प्रकाशित करता है. इसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कौन सा टेलीविजन कार्यक्रम सबसे अधिक देखा जाता है. TRP लोगों की पसंद का एक सूचकांक देता है और विशेष कार्यक्रम की लोकप्रियता को दर्शाता है. यह उच्च टीआरपी के साथ एक कार्यक्रम प्रकाशित करता है कि कार्यक्रम को बड़ी संख्या में दर्शकों द्वारा देखा जाता है. विज्ञापनदाताओं के लिए इसका डेटा बहुत उपयोगी है क्योंकि वे उच्च TRP वाले कार्यक्रमों के दौरान अपने विज्ञापन देते हैं

TRP का मतलब क्या है?

TRP की फुलफॉर्म होता है Television Rating Point. इन पॉइंट्स के जरिए ही यह पता चलता है कि कोई शो टीवी पर कितना अधिक देखा गया. ये पॉइंट्स ही बताते हैं कि कोई शो कितना हिट जा रहा है, या उसे कोई पूछ ही नहीं रहा. इसी वजह से अक्सर आपने टीवी चैनलों को अपने प्रोग्राम की TRP की नुमाइश करते भी देखा होगा. TRP के जरिए ही पता चलता है कि कौन-सा कार्यक्रम कितना देखा जा रहा है.

TRP रेट क्या है

टीआरपी रेट वो होती है  जिससे किसी भी टीवी चैनल की TRP की गणना की जाती हैं किसी भी चैनल की टीआरी चाहैं वो न्यूज़ हो या कार्टून हो या मूवी हो या कोई टीवी शो हो तो उसकी टीआरपी पूरी तरह से उसके प्रोग्राम के ऊपर निर्भर करती है.अक्सर आपने देखा होता की कोई नयी मूवी रिलीज होने वाली होती हैं तो उससे पहले  एक्टर अपने मूवी के प्रोमोशन के लिए किसी भी शो में जाते हैं जिससे उस एक्टर को चाहने वाले बहुत से लोग उस टीवी शो या प्रोग्राम को देखते हैं इससे उसकी टीआरपी बहुत ही ज्यादा तेजी से बढ़ जाती है.

सभी सेटटॉप बॉक्स एक Television Rating Point से कनेक्टेड होते हैं इसके कारण किसी भी चैनल की लोकप्रियता और viewers  के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है.

कैसे पता चलती है ये TRP?

चैनलों की रेटिंग जानने के लिए चंद बड़े शहरों में एक खास तरह की डिवाइस कुछ चुनिन्दा जगहों पर लगाई जाती है. इस डिवाइस को People Meter कहते हैं. ये मीटर हर किसी के घर में नहीं लगते. इसके लिए खास जगह ही सिलेक्ट की जाती है. इन्हें खासकर शहरों में लगाया जाता है. जब कहीं People Meter लगा दिए जाते हैं तो यह डिवाइस अपने एरिया के सभी सेटटॉप बॉक्स से कनेक्ट हो जाती है. TRP आम केबल टीवी कनेक्शन पर नहीं नापी जा सकती. इसके लिए सेटटॉप बॉक्स वाला केबल कनेक्शन जरूरी होता है. खास जगहों पर लगे ये people meter संबंधित सेटटॉप बॉक्स की जानकारी ऊपर मॉनिटरिंग टीम के पास भेजते हैं.

क्या सिर्फ यही एक तरीका है?

नहीं. इसके अलावा एक तरीका और है. पिक्चर मैचिंग नाम के तरीके से भी TRP नापी जाती है. इसमें पीपल मीटर उस प्रोग्राम का एक छोटा-सा हिस्सा रिकॉर्ड कर लेता है, जो प्रोग्राम देखा जा रहा होता है. इस तरह के सैंपल कई घरों से लिए जाते हैं. फिर इस डेटा को एनालाइज करके टीआरपी का पता लगाया जाता है.

बड़े शहरों के कई घरों में टीआरपी नापने के लिए पीपल मीटर लगाए जाते हैं. 

क्या-क्या जानकारी भेजता है पीपल मीटर?

पीपल मीटर ये सब जानकारियां भेजते हैं कि टीवी देखने वाले ने किस वक्त कौन-सा शो सबसे ज्यादा देखा. कितनी देर तक देखा. इसके अलावा पिक्चर मैचिंग वाले हिस्से को भी एनालाइज करके देखा जाता है कि कौन-सा शो सबसे ज्यादा देखा जा रहा है.

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TRP कैसे मापी जाती है

सबसे पहले तो यह साफ कर देना जरूरी है कि टीआरपी कोई वास्तविक नहीं बल्कि आनुमानित आंकड़ा होता है. देशभर में टीवी के करोड़ों दर्शक हैं. ऐसे में सभी लोग किस चैनल की पसंद कर रहे हैं या कौन सा प्रोग्राम उन्हें अच्छा लग रहा है इस पर सभी दर्शकों की राय जानना असंभव है. इसलिए इस काम को सैंपलिंग के जरिए मापा जाता है. टीआरपी मापने वाली एजेंसी देश के अलग-अलग हिस्सों, आयु वर्ग, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिध्तव करने वाले सैंपलों को चुनते हैं. कुछ हजार घरों में एक खास उपकरण जिसे पीपल्स मीटर कहा जाता है, उन्हें फिट किया जाता है. जानकारी के मुताबिक देशभर में करीब 30 हजार घरों में यह पीपल्स मीटर लगे हुए हैं. इसके जरिए यह पता चलता है कि उस टीवी सेट पर कौन सा चैनल, प्रोग्राम या शो कितनी बार और कितने देर तक देखा जा रहा है. पीपल्स मीटर से जो जानकारी मिलती है, एजेंसी उसका विश्लेषण कर टीआरपी तय करती है. इन्हीं सैंपलों के जरिए सभी दर्शकों की पसंद का अनुमान लगाया जाता है.

TRP  का कैसे पता लगाया जाता है?

जब भी किसी जगह पुपिल मीटर की डिवाइस लगती है वह अपने एरिया के सभी सेट टॉप बॉक्स से कनेक्ट हो जाती है और आपको बता दूं कि टीआरपी जानने के लिए केवल टीवी की जगह सेट टॉप बॉक्स लगाने पर ही जोर दिया जाता है। इससे टीआरपी का बिल्कुल सही अनुमान लगाया जा सकता है। किसी विशेष जगह पर लगाए पीपल मीटर अपने आसपास सेट टॉप बॉक्स से जानकारी मॉनिटरिंग कर रही टीम को भेजता है। इस जानकारी से  पता चलता है कि कौन सा चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है और सबसे ज्यादा कौन सा शो देखा जा रहा है। इस सेटिंग के हिसाब से पता लगाया जाता है कि किस की टीआरपी सबसे ज्यादा है। पुपिल मीटर द्वारा भेजी गई जानकारी को एनालिसिस करने के बाद मॉनिटरिंग टीम तय करती है के कौन से चैनल और शो की टीआरपी सबसे ज्यादा है?

TRP कैसे चेक करे

सिरीयल और चैनल की TRP Check करने के लिए People’s Meter का इस्तेमाल किया जाता है और People’s Meter को शहेरो में कुछ-कुछ जगह पर लगाया जाता है जो Setup Box से कनेक्ट होता है और People’s Meter में एक Specific Frequency है जिसके माध्यम से कोन से एरिया में किसी टाइम कौन सा TV सिरीयल या चैनल देखा जा रहा है और सिरीयल के बीच में कितनी एडवर्टाइज दिखाई गई है

वो सब Information People’s Meter Monitoring Team (Indian Television Audience Measurement) तक पहुंचाता है और Monitoring Team (INTAM) People’s Meter से मिली हुई Information को Analysis करने के बाद किसी चैनल और सिरीयल का TRP कितना है वो तय किया जाता है

People’s Meter के माध्यम से किसी एरिया में कोनसा सिरीयल और चैनल कितने लोग देखते हैं इसकी जानकारी मिलती है किसी भी चैनल और सिरीयल कि TRP चेक करने के लिए आप BARC India कि वेबसाइट पर जा कर चेक कर सकते है BARC India कि वेबसाइट के माध्यम से आप यह पता लगा सकते है कि कोनसा TV चैनल और सिरीयल सबसे ज्यादा पोपुलर है BARC India कि वेबसाइट पर जाने के लिए यहां क्लिक करें :- BARCIndia

TRP का हिसाब कौन रखता है?

TRP का हिसाब-किताब रखने की जिम्मेदारी INTAM और DART नाम की दो एजेंसियां करती हैं. INTAM का मतलब है Indian Television Audience Measurement. और DART का मतलब है Doordarshan Audience Research Team. डार्ट की रेटिंग तब ज्यादा महत्व रखती थी, जब प्राइवेट चैनल बहुत कम या नहीं के बराबर थे. हालांकि अब भी DART काम करती है. ये ग्रामीण इलाकों और उन छोटे शहरी इलाकों में टीवी देखे जाने के पैटर्न पर नजर रखती है. डार्ट लोगों के पास जाकर और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों ही तरीके से डेटा कलेक्ट करती है. दूसरी तरफ INTAM पूरी तरह से अपने पीपल मीटर के भरोसे है.

इस TRP के जरिए ही इंडस्ट्री की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसी BARC यानी Broadcast Audience Research Council एक लिस्ट जारी करती है. यह लिस्ट हर हफ्ते आती है. इसमें लिखा होता है कि किस चैनल को किस टाइम स्लॉट में कितने इंप्रेशन मिले. मतलब कितने लोगों ने उसे देखा. TRP का हिसाब-किताब रखने की जिम्मेदारी एक खास एजेंसी के पास है.

Online TRP क्या है? यह कैसे तय की जाती है?

आजकल ज्यादातर टीवी शोज ऑनलाइन स्ट्रीमिंग एप्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी दिखाए जाते हैं. Online TRP, किसी भी टीवी कार्यक्रम की ऑनलाइन लोकप्रियता को मापने का तरीका है. इसके लिए TRP तय करने वाली एजेंसीज़ Twitter, Facebook, आदि सोशल मीडिया पर टीवी शोज से संबंधित होने वाले पोस्ट्स, डिस्कशन, हैशटैग, ऑनलाइन एप्स पर व्यूज की संख्या आदि को मॉनिटर करती हैं और उसी आधार पर समय-समय पर ऑनलाइन टीआरपी लिस्ट जारी करती हैं.

उदाहरण के लिए अभी-अभी समाप्त हुआ BigBoss 13 सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुआ था जिसकी वजह से वह कई सप्ताह तक लगातार Online TRP में नंबर एक पर बना रहा.    

TRP से टीवी चैनलों की कमाई का क्या सिस्टम है?

टीवी चैनलों की कमाई का पूरा सिस्टम इसी TRP से चलता है. टीवी चैनलों को अपनी आमदनी का 90 फीसदी हिस्सा विज्ञापनों से मिलता है. इन विज्ञापनों को दिखाने का हर टीवी चैनल का अपना-अपना रेट होता है. यह रेट इस बात से ही तय होता है कि किसी चैनल को कितने ज्यादा लोग देख रहे हैं. और ये कौन बताता है? TRP के आंकड़े. इसी से पता चलता है कि कौन-सा चैनल ज्यादा पॉपुलर हो रहा है. इसके बाद तो सीधा फंडा है- जो दिखता है, वो बिकता है.

जिसकी ज्यादा TRP, उसके पास विज्ञापन देने वालों की उतनी ज्यादा भीड़. और इस भीड़ के चलते उसके विज्ञापनों के उतने ही ज्यादा रेट. हालांकि चैनल इसे सबसे भरोसेमंद और बेहतरीन चैनल का तमगे के तौर पर भी देखते हैं. लेकिन यह गुणवत्ता नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा उसे देखने वालों की रेटिंग होती है.

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं, मान लो एक टीवी चैनल पर 5 लोग काम करते हैं और उन्हें सालाना 10-10 लाख रुपए मिलते हैं. और बाकी खर्च 10 लाख रुपए का आता है. अब अगर उस चैनल की TRP ज्यादा है और उसे 1 करोड़ के ऐड मिल रहे हैं तो चैनल मालिक को 5 लोगों की सैलरी 10 x 5 = 50 और बाकी 10 लाख अन्य खर्च के जोड़ने के बाद भी 40 लाख बचते हैं. अगर उस चैनल की TRP नीचे गिर जाती तो ऐड देने वाले चंपत हो जाएंगे. चैनल को चलाने का खर्च निकालना मुश्किल हो जाएगा.

टीआरपी से चैनल की इनकम कैसे होती है?

  • आपको बता दें कि किसी भी चैनल की 80 परसेंट इनकम विज्ञापन पर होती है। यह विज्ञापन हर शो के एक 2 मिनट के ब्रेक में आते हैं। यह विज्ञापन वाले किसी भी चैनल पर  आते हैं। यह अपना विज्ञापन दिखाने के लिए चैनल को ज्यादा रुपए प्रदान करते हैं। इस तरह इस चैनल की ज्यादातर इनकम आपको दिखा रहे विज्ञापन से ही होती है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि टीआरपी का विज्ञापन से क्या संबंध है तो आपको बता दूं कि जिस चैनल की टीआरपी ज्यादा होती है वह चैनल अपने शो के बीच में यानी ब्रेक में विज्ञापन दिखाने के लिए विज्ञापन वालों से इतने ही रुपए लेते हैं।
  • जैसे के भारत के पॉपुलर शो बिग बॉस की बात की जाए तो आपको बता दूं कि जब भी बिग बॉस शो में ब्रेक आता है तो उसमें दिखाई जाने  वाले विज्ञापन काफी बड़ी कंपनी के होते हैं और यह बड़ी कंपनियां खुद बिग बॉस में अपना विज्ञापन दिखाने के लिए काफी ज्यादा रुपए चैनल को प्रदान करती हैं। इन कंपनियों की कोशिश यही रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग विज्ञापन को देखें और ज्यादा टीआरपी वाले शो में विज्ञापन दिखाने से उनका यह काम पूरा हो जाता है।

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TRP कम या ज्यादा होने से Channels पर क्या Effect पड़ता है?

TRP क्या है? ये तो आपके समझ में आ गया होगा और ये समझ में आ गया होगा. की TRP का सीधा Connection Channel या किसी Serial के Popularty से होता है. तो जाहिर सी बात है TRP यानि Television Rating Point से कुछ तो Effect पड़ता होगा. जी हा, किसी channel का TRP कम या ज्यादा है तो इसका Effect सीधे channel के Income पर पड़ता है.

Sony, Star, LifeOK, Discovery और जितने channels है सभी Advertising के द्वारा ही पैसे कमाते है. ऐसे में अगर किसी Channel का TRP कम है तो उसको Advertising के ज्यादे पैसे नहीं मिलेंगे या फिर बहुत कम Advertiser मिलेंगे और इसके ठीक उल्टा अगर किसी channel का TRP ज्यादा होगा.

तो उसे ज्यादा पैसा मिलेगा Advertiser के द्वारा. TRP केवल Channel ही नहीं किसी particular Serial या Show पर भी Depend करता है. उदाहरण के लिए अगर आप TV पर किसी Product का Ads करना चाहते है. तो आप अगर किसी High TRP वाले Serial या Show जैसे की नागिन या The Kapil Sharma Show पर अपना ads दिखायेंगे तो आपको ज्यादा पैसे Pay करने पड़ेंगे दुसरे किसी Low TRP वाले Serials की तुलना में.

TRP की देख-रेख कौन करता है?

क्या आप जानते हैं कि TRP की गणना INTAM (Indian Television Audience Measurement) और DART (Doordarshan Audience Research Team) ये दोनों संस्था करते हैं। 

पहले केवल DART ही TRP की गणना करती थी लेकिन समय के साथ प्राइवेट चैनल आते गए और दूरदर्शन के साथ उनकी भी TRP (टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट) का पता लगाने के लिए INTAM का गठन हुआ। आज के समय मे ज्यादातर चैंनलों की TRP की गणना INTAM ही करती है। 

DART आज भी अपना काम कर रही है, हालांकि यह केवल अब ग्रामीण इलाकों में ही फंक्शनिंग है। इनका टी आर पी निर्धारित करने का तरीका INTAM से अलग होता है। Doordarshan Audience Research Team के लोग जाकर Randomly किसी भी घर मे जाकर उनके टेलीविज़न पर देखे जाने वाले चैंनलों और प्रोग्रामों के बारे में सवाल पूछते हैं, और Viewership की जानकारी पाने के लिए कुछ इलेक्ट्रॉनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। 

BARC इन्ही दोनों के डेटा की मदद से हर हफ्ते सभी चैंनलों की टीआरपी की लिस्ट करी करती है। BARC का फुल फॉर्म Broadcast Audience Research Council है और हाल में हुए टीआरपी घोटाले के लिए लोग BARC को भी ज़िम्मेदार मान रहे हैं।

TRP से TV Channel की Income कैसे होती है?

Advertisers अपने प्रोडक्ट को Promote करने के  लिए सबसे ज्यादा TRP वाले चैनल को Choose करते है और उन्हें अपना प्रोडक्ट प्रमोट करने के पैसे देते है। Advertisers अपने प्रोडक्ट को High TRP वाले चैनल पर प्रमोट करने के लिए मूहँ बोली रकम देते है क्योंकि High TRP चैनल की मदत से उनका Product ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुच सके।

टीआरपी बढ़ने या घटने के क्या मतलब है?

TRP बढ़ने और घटने से TV चैंनलों की कमाई के ऊपर सीधा असर पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि तमाम बड़े से लेकर छोटे चैंनलों की कमाई का मुख्य स्रोत विज्ञापन ही होता है। 

मान लीजिए किसी TV चैनल की टीआरपी ज्यादा है तो इसका मतलब यह है कि उस चैनल को लोग ज्यादा देख रहे हैं, और जिस चैनल की टीआरपी कम है उसे कम लोग देख रहे हैं। तो ऐसे में विभिन्न कंपनियां अपने विज्ञापन उस चैनल पर चलाने के ज्यादा पैसे देंगी जिसको ज्यादा लोग देख रहे हैं। और जिस चैनल को कम लोग देखते हैं उसे इन्वेस्टर्स के द्वारा कम पैसा मिलता है। तो देखा अपने यही सबसे बड़ा कारण है कि TV चैंनलों के लिए TRP का क्या महत्व है।

अब बात आती है कि किसी खास Show की टीआरपी अगर ज्यादा हो तो क्या होगा? तो इसमें भी वही फार्मूला लगता है, विज्ञापनकर्ता अपने एड्स को उस समय चलवाना चाहेंगे इसलिए वह उस खास Show के दौरान एड्स चलाने के भी अलग अलग पैसे देते हैं। 

जैसे टीआरपी बढ़ने के साथ एड्स ज्यादा मिलते हैं वैसे ही अगर टीआरपी घटती है तो एड्स भी कम मिलते हैं जिस कारण टीवी चैंनलों की कमाई पर असर पड़ता है। यही कारण है कि सभी चैनल अपनी टीआरपी इम्प्रूव करने के पीछे पड़े रहते हैं। 

टीआरपी का महत्व क्या है

टीआरपी क्या है और कैसे मापी जाती है, यह जानने के बाद अब समझते हैं कि आखिर इसकी अहमियत क्या है। दरअसल, टीआरपी किसी चैनल, प्रोग्राम या शो की लोकप्रियता का पैमाना है। टीवी चैनलों की कमाई का मुख्य स्रोत विज्ञापनों से आने वाला पैसा ही है। जिस चैनल की जितनी ज्यादा लोकप्रियता यानी टीआरपी होती है, विज्ञापनदाता उसी पर सबसे ज्यादा दांव खेलते हैं। ज्यादा टीआरपी है तो चैनल विज्ञापनों को दिखाने की ज्यादा कीमत लेगा। कम टीआरपी होगी तब या तो विज्ञापनदाता उसमें रुचि नहीं दिखाएंगे या फिर कम कीमत में विज्ञापन देंगे। इससे साफ समझ सकते हैं कि जिस चैनल की जितनी ज्यादा टीआरपी, उसकी उतनी ज्यादा कमाई।

TRP Scam पर सवाल क्यों खड़ा होता है ?? {TRP kya hai}

कई बार आप देखते होंगे की टीआरपी को लेकर बहुत बड़ा घमासान चलता है, आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चलता रहता है यह सब क्यों होता है इसके पीछे का कारण क्या है ??आइए हम बारीकी से समझे इन सभी पहलुओं को ।।अभी तक तो आप समझ ही गए होंगे कि टीआरपी के गणना कौन सी संस्था करती है इसकी रेटिंग कौन देती है साथ में आप यह भी अभी ऊपर पढे़ होंगे की पीपुल रेटिंग नाम की इलेक्ट्रॉनिक मशीन सेटअप बॉक्स में लगाया गया होता है । 

जो टीआरपी रेटिंग जारी करती है। अब सवाल यही खड़ी होती है यह जो इलेक्ट्रॉनिक्स मशीन है वह भारत के सभी घरों में नहीं लगाया गया यह तकरीबन 40,000 से 45000 घरों तक ही लगाया गया है , और यह भी ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में ही लगाया गया कई बार ऐसे पाया गया ऐसे घरों में यह मशीन लगाया गया है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं तो उसे कुछ पैसे की प्रलोभन देकर कुछ खास प्रोग्राम या चैनल को देखने के लिए कहा जाता है !! और यह सब कुछ अपने चैनल या प्रोग्राम के टीआरपी रेटिंग बढ़ाने के लिए क्या जाता है !

इंडिया का सबसे Highest TRP सीरियल –

दोस्तों साल 2020 में रामायण जिसको कि हर कोई पसंद करता है Lockdown के दौरान रामायण को दोबारा से दूरदर्शन चैनल पर दिखाया गया सुबह शाम रामायण सीरियल को टीवी पर दिखाया जाता था हर वर्ग के लोगों ने उस समय में रामायण सीरियल को देखा जिससे BARC TRP ने रामायण सीरियल की अब तक की सबसे ज्यादा Highest TRP को रिकॉर्ड किया IMDB पर रामायण सीरियल की 9.1/10 की रेटिंग है जिसने कि विश्व के प्रसिद्ध टीवी सीरियल शो “Game Of Thrones” के रिकॉर्ड को तोड़ा है।

टीआरपी के द्वारा पैसा कैसे कमाया जाता है ?? {TRP kya hai}

न्यूज़ चैनल हो या टीवी प्रोग्राम उनका इनकम के मुख्य स्रोत एडवरटाइजमेंट (प्रचार) होता है जो किसी कंपनी के द्वारा दिया जाता है, क्योंकि कंपनी सोचता है मार्केट में वही बिकता है जो दिखता है , जो कि यह धारणा है गलत भी हो सकती है लेकिन हम आप कुछ नहीं कर सकते यह कंपनी की धारणाएं हैं जिस कारण वह करोड़ों की मोटी रकम चंद मिनटों या घंटों के प्रचार के लिए न्यूज़ चैनल और टीवी प्रोग्राम वालों को देते हैं,  अब कोई भी न्यूज़ चैनल या प्रोग्राम टीवी प्रोग्राम कितने मिनट के एडवरटाइजमेंट का कितना रेवेन्यू लेंगे इसका निर्धारण टीआरपी के द्वारा होता है जिस चैनल का टीआरपी ज्यादा होता है उसका एडवर्टाइजमेंट का रेट ज्यादा होता है आमतौर पर देखा गया है कि , 1 सेकंड का 1000 से 6000 सप्ताहिक बेसिक पर एडवरटाइजमेंट का रेट होता है ।

सवाल भी उठते रहे हैं TRP  पर

टीवी शो की रेटिंग के TRP सिस्टम पर जानकार कुछ सवाल भी उठाते रहते हैं, जैसे-

# एजेंसी ने किस शहर में और किनके यहां पीपल मीटर लगाए हैं, इसे लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जाती.

# चूंकि यह सिर्फ बड़े शहरों और चंद हजार घरों से ही डेटा कलेक्ट करते हैं, ऐसे में इनके डेटा पर कैसे भरोसा किया जाए?

# अगर कोई टीवी चला भर दे लेकिन उसे देखे न, तब भी उस चैनल को रेटिंग मिल जाएगी. ऐसे में व्यूअरशिप नापने का यह तकनीकी रूप से सटीक नहीं है.

# पूरी इंडस्ट्री में चंद एजेंसियां ही हैं, जो ये काम करती हैं. ऐसे में एकाधिकार बढ़ता जाता है. सिस्टम को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने की गुंजाइश रहती है.

# TRP की होड़ बढ़ जाने से कार्यक्रमों की गुणवत्ता घटती है. चैनल कुछ भी दिखाकर टीआरपी हासिल करने की होड़ करते हैं.

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Conclusion

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख  TRP क्या है, TRP Full Form TRP की पूरी जानकारी (In Hindi)  जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

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