URL क्या है और कैसे काम करता है? पूरी जानकारी

URL एक formatted text string है जिसे की Web Browser, email clients या किसी अन्य Software में किसी Network Resource को ढूंडने के लिए इस्तमाल किया जाता है. Network Resource कोई भी फाइल्स हो सकती हैं जैसे की Web Pages, Text Document, Graphics या Programs.

चूँकि जो की resource URL द्वारा represent किये जाते हैं और URL खड़ी भी, इन सभी को Web server द्वारा handle किया जाता है। ऐसे में ये उस web server के मालिक के ऊपर निर्भर करता है की वो कैसे इन resource और उससे जुड़ी URL को सम्भाले।

URL का Full Form 

URL का फुल फॉर्म Uniform Resource Locator है। दरअसल यह URL इंटरनेट में स्थित किसी विशेष फाइल या फिर कोई वेबसाइट का एड्रेस यानी पता होता है, जो कि इंटरनेट के यूजर्स को किसी वेबसाइट या फिर फाइल पर पहुंचने में सहायता करता है। URL के बिना इंटरनेट अधूरा है, क्यूंकि URL ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें वह ब्राउज़र के माध्यम से किसी वेबसाइट या फाइल तक पहुंचने में सहायता करता है। 

URL के टेक्नोलॉजी को सबसे पहले Tim Berner Lee ने खोजा था, और हम यह भी कह सकते कि Tim Berner Lee ही URL टेक्नोलॉजी के आविष्कारक है। URL क्या है? और URL Ka Full Form क्या है? यह तो आप अच्छे से जान गए होंगे, तो चलिए अब जानते है कि किसी वेबसाइट का URL कैसे पता करें। 

URL के कितने भाग होते हैं?

किसी भी URL के तीन भाग होते हैं

  1. Protocol Designation
  2. Host Name or Address
  3. File or Resource Location

इन सभी substrings की अलग करने के लिए Special Characters का इस्तमाल होता है. जिसका की Format कुछ इसप्रकार है.

protocol :// host / location

URL Protocol Substrings

 

इस प्रकार के Protocol Network protocol को define करते हैं जिससे की किसी network resource को आसानी से access किया जा सके. ये strings अक्सर छोटे नाम के होते हैं जिसके बाद तीन special character होते हैं “://” ये एक typical name conversion है जो की Protocol definition को denote करता है.

Typical Protocols जिसका इस्तमाल होता है वो हैं जैसे HTTP (http://), FTP (ftp://) इत्यदि.

URL Host Substrings

Host Substring के मदद से किसी destination computer या network device को identify किया जा सकता है. Hosts standard Internet Database से ही आते हैं जैसे की DNS और जिसे हम IP addresses के नाम से भी जानते हैं. कई websites के Hostname सिर्फ एक single computer को नहीं दर्शाता बल्कि ये WebServers के समूह हो दर्शाता है.

URL Location Substrings

Location Substring किसी एक special network के रास्ते को दर्शाता है जो की उस Host में मेह्जुद होती है. Resouces मुख्यत किसी host directory या folder में रहती है.

URL का इतिहास

Uniform Resource Locators के बारे में सबसे पहले Tim Berners-Lee ने ही इस technology को दुनिया के सामने लाया. जिन्होंने सबसे पहली बार ये idea सबके सामने लाया की ऐसा Organization जो सभी Web Pages को unique locational address प्रदान करता है.

जिससे की उन्हें आसानी से online में खोजा जा सके. HTML को बनाने के बाद Standard language को इस्तमाल करके World Wide Web में बहुत सारे pages बनाया गया और उसके साथ hyperlinks. उसके बाद उन दोनों को आपस में जोड़ दिया गया. जिससे की internet दिनबदिन और भी बड़ा होता ही गया.

URL का अविष्कार किसने किया

यूआरएल क्या है? (What is Url in Hindi) और Url Full Form in Hindi तो आप समझ गए होंगे। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा की यूआरएल का अविष्कार किसने किया। तो इसके बारे में भी जान लेते है।

यूनिवर्स रिसोर्स लोकेटर का अविष्कार टीम बेर्नेर्स ली ने 1994 में किया था। ली ने Http, Html और URL का अविष्कार एक साथ किया था।

URL की संरचना – Syntax of URL in Hindi

World Wide Web पर उपलब्ध यूआरएल एक खास संरचना में लिखे जाते हैं जिसे URL Syntax कहते हैं. यूआरएल सिंटेक्स ही URL Structure को डिफाईन करता हैं अर्थात उसे कैसे लिखना ये बताता हैं.

Common URL Structure with Different Parts

एक यूआरएल के निम्नलिखित भाग होते हैं. जिन्हे आप ऊपर चित्र में भी देख सकते हैं.

  • Protocol
  • Separator
  • Subdomain
  • Domain Name
  • Directories
  • Resource

Protocol

इसे URI Scheme भी कहा जाता है. प्रोटोकॉल ब्राउजर को बताता है कि उपलब्ध संसाधन को कैसे डाउनलोड करना हैं? HTTPS सबसे लोकप्रिय वेब प्रोटोकॉल है जो सूचना को सुरक्षित इंक्रिप्ट कर ट्रांसफर करने की सुविधा मुहैया कराता हैं.

Protocol

इंक्रिप्ट करने का मतलब होता है ब्राउजर तथा सर्वर (जिस कम्प्युटर में संसाधन सेव है) के बीच डेटा को कूट कर देना यानि उसे वास्तविक रुप में नहीं ट्रांसफर करना. इसलिए बीच में चोरी होने पर डेटा का दुरुपयोग संभव नही होता हैं.

HTTPS से पहले HTTP – Hyper Text Transfer Protocol का उपयोग किया जाता था जो असुरक्षित था. युजर की साईबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और प्राईवेसी कानून के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए HTTP का Secure Version तैयार किया गया जिसे HTTPS यानि HTTPS Secure के नाम से जानते हैं.

HTTPS के अलावा ftp, mailto, telnet, news आदि भी Standard Protocols है जिनका उपयोग भी प्रोटोकॉल के रूप में होता हैं और सूचनाओं का आदान-प्रदान धडल्ले से किया जाता हैं.

Separator

ये विशिष्ट चिन्ह होते है जो यूआरएल के अलग-अलग भागों को एक-दूसरें से अलग करने का काम करते हैं. उदाहरण के लिए https को शेष यूआरएल से अलग करने के लिए :// का उपयोग होता हैं. तथा अन्य स्थानों पर केवल “/” से ही काम चल जाता हैं.

RFC 1738 की सिफारिशों के अनुसार यूआरएल में केवल Alphabets, Numbers के अलावा ! $ – _ + * () चिन्ह ही इस्तेमाल किये जा सकते हैं. अन्य चिन्ह इस्तेमाल करने से पहले उन्हे Encode करना होगा.

Subdomain

यूआरएल में WWW सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सबडोमेन है. तकनीकि रुप में इसकी कोई जरूरत भी नहीं होती हैं और यह वैकल्पिक हैं. तथा इसके बिना भी सूचना प्राप्त की जा सकती है. मगर, इसकी आदत होने के कारण इसका प्रचलन बरकरार है और बिना www का यूआरएल सीधा www URL पर Redirect कर दिया जाता हैं.

ब्राउजर के सर्च बॉक्स में जाकर https://tejwiki.in लिखकर सर्च करें. और नोटिस करें कि आपके समने कौनसा यूआरएल ओपन हो रह हैं? अगर आप ध्यान देंगे तो आप पायेंगे कि आपके सामने https://www.tejwiki.in खुल गया हैं.

Domain Name

जहां पर आपकी मन पसंद सूचना सेव रखी जाती हैं उस Virtual Computer (Server) का नाम ही डोमेन नेम है जिसे आप वेबसाईट के नाम से जानते हैं. यह IP Address का निकनेम होता है. जो गणितीय संख्या नाम को युजर से छिपाता है. और उसे इंसान के समझने लायक भाषा में बदलता हैं.

यहाँ .com वाला भाग Domain Suffix अथवा Top Level Domain (TLD), इसे Domain Extension भी कहते हैं, कहलाता हैं जो वेबसाईट का प्रकार दर्शाता हैं. जैसे; .com एक Commercial Website का प्रतिनिधित्व करता है. इसी तरह सैंकड़ों प्रकार के TLDs मौजूद है जिन्हे आप Domain Registrar की वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं. .com के अलावा .org, .edu, .net, .biz आदि लोकप्रिय टॉप लेवल डोमेन है.

Directories

एक वेवसाईट को कई हिस्सों में विभाजित किया जा सकता हैं. एक हिस्से को आप एक घर में विशिष्ट कमरा मान सकते हैं जो केवल किसी विशिष्ट इंसान या काम के लिए उपयोग होता हैं इसी तरह एक प्रकार की जानकारी को एक जगह रखा जाता है ताकि ढूढ़ने में आसानी रहें.

जैसे विडियो को videos नाम के फोल्डर में रखते हैं. यहाँ एक से ज्यादा डायरेक्ट्री भी हो सकती है और एक डायरेक्ट्री के भीतर भी डायरेक्ट्रीज (सबडायरेक्ट्री) बनाई जा सकती हैं.

Resource

यह वास्तविक संसाधन है जिसे सर्वर पर सुरक्षित रखा गया है. इसे वेबपेज भी कहते हैं. यहीं वो फाईल, फोटू, विडियो, गाना होता है जिसे आप ढू‌ढते हैं. फाईल नाम के आगे फाईल एक्स्टेंशन भी लिखा रहता है जो बताता है कि यह किस प्रकार की फाईल है? .html, .htm, .php, .asp, .cgi, .xml, .jpg, .png आदि लोकप्रिय फाईल एक्स्टेंशन्स है.

Url Shortning क्या है

इंटरनेट पर आपने कई सारी ऐसी वेबसाइट या वेबपेजेस देखे होंगे। जिनका यूआरएल बहुत ही लम्बे होते है। जिनको शेयर करना काफी मुश्किल होता है।

ऐसे में हम इन URL को शेयर करने के लिए Short या छोटा करते है। इसे ही Url शोर्टनिंग कहा जाता है। छोटे यूआरएल को हम कही भी शेयर कर सकते है।

इंटरनेट पर कई सारी ऐसी वेबसाइट है। जहाँ से आप अपने Long यूआरएल को Short कर सकते है। जैसे- BITLY, GOO.GL, TINYURL.COM, OW.LY, IS.GD आदि।

यहाँ तक की कई सारी वेबसाइट ऐसी है। जहाँ आप अपने Short link को शेयर करके अर्निंग भी कर सकते है। जैसे- shorte.ST, Adf.LY, Ouo.IO, ShrinkMe.IO आदि।

URL कैसे काम करता है?

URL को कुछ इसप्रकार से design किया गया है जिससे की लोगों को इसे याद रखने में आसानी हो. लेकिन computer को सही website को पहचानने में information चाहिए जिससे की वो बड़ी आसानी से सही Website का पता लगा सके.

हमारा Browser किसी webpage को धुंडने के लिए उसके IP का इस्तमाल करता है. IP जिसे हम Internet Protocol के नाम से भी जानते हैं. ये IP numbers का एक सीरीज होता हैं जो की कुछ इस प्रकार दीखता है 69.172.244.11

 

जरा सोचिये अगर हमें सारी websites को उनके Ip address से याद रखना होता तो हमें ये काम कितना मुस्किल होता. और internet के चाहिते शायद इतने नहीं होते जितने की आज इस दुनिया में हैं. में आपको ये बात बता दूँ की सभी Website के Static URL नहीं होते.

कुछ समय समय पे बदलते रहते हैं जिससे उन तक पहुँच पाना बहुत ही मुस्किल भरा काम है. इसी कारण हम URL का इस्तमाल करते हैं जो की हमेशा समान रहते हैं और जिससे की याद रखना भी बड़ा आसान होता है.

जब हम किसी website का URL type करते हैं तब browser तब DNS जिसे की Domain Name Server भी कहा जाता है और इसकी मदद से ये उस URL को उसके corresponding IP में बदल देता है. और जिसकी मदद से Browser उस website तक पहुँच जाता है.

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URLs के प्रकार

वैसे देखा जाये तो URLs बहुत से प्रकार के होते हैं और उनके लिए बहुत से different terms का इस्तमाल किया जाता है. मैंने यहाँ कुछ प्रकार के बारे में बताया है.

१। Messy: ये वो प्रकार के URL होते हैं जिसमें की बहुत सारे numbers और letters होते हैं जिससे की कोई oraganization sense आता है. उदहारण के तोर पे ‘http://www.example.com/woeiruwoei909305820580‘ .आम तोर से ये URL computer द्वारा उत्पन्न किये हुए होते हैं जो की किसी समान domain नाम के लिए हजारों की संख्या में Web Pages बनाते हैं.

२। Dynamic:  ये URL भी उसी जगह से उत्पन्न हुए हैं जहाँ से की Messy URL आये हैं. ये URL किसी database query के end result होते हैं जो की content output provide करते हैं किसी भी query के result में. ये भी Messy URL के तरह ही दिखते हैं जिसमें की ?,&,%,+,=,$ जैसे character दिखते हैं. इनका इस्तमाल मुख्यत Consumer द्वारा इस्तमाल में लाये गए Website में होता है जैसे की कोई Shopping, travelling websites जिसमें की user बार बार अपनी queries बदलते रहते हैं जिससे की answers भी बदलते रहते हैं.

३। Static: ये बिलकुल की विपरीत होते हैं किसी भी Dynamic URL के. इस URL को Webpage’s HTML coding के साथ पूरी तरह से Hard wired कर दिया गया होता है. ये URL कभी भी नहीं बदलता चाहे वो user कुछ भी request कर रहा हो.

४। Obfuscated: ये बहुत ही खतरनाक URL है जिसके की इस्तमाल Phishing Scam में होता है. जैसे की इसके नाम से पता चलता है की ये Hidden होते हैं. जिसका इस्तमाल बड़ी चालाकी से किया जाता है जिससे की पूरी तरह से Original लगे. तो जब इसे कोई user click करता है तब वो इन्हें Malicious Website के तरफ redirect कर देता है.

 

URL Ki Jankari Hindi Me

 

यूआरएल के बारे में और जानने के लिए हमारे इस पोस्ट पर अंत तक बने रहे।

आजकल URL का चलन काफी बढ़ गया है, क्योंकि किसी भी वेबसाइट का रेफरेन्सेस देने के लिए हम उस वेबसाइट के URL को फॉरवर्ड करते है। URL को हम आसान भाषा में परिभाषित करे तो इंटरनेट पर मौजूद किसी भी संसाधन का पता यूआरएल होता है। URL आपके ब्राउज़र विंडो के ऊपरी हिस्से में स्थित search बॉक्स में होता है, और URL में कभी भी स्पेस का उपयोग नही होता है। यूआरएल को Tim Berner Lee ने परिभाषित किया था या हम कह सकते है कि इन्होंने ही सबसे पहले URL की खोज की थी। URL एक formated text string है जिसे वेब ब्राउज़र की मदद से इस्तेमाल किया जाता है।

तो, आईये अब जानते हैं कि URL के 3 महत्वपूर्ण Parts कौन से है:

  • Protocol Identifier
  • Domain Name
  • The Path

अब आपके मन मे सवाल होगा कि URL कैसे काम करता है? तो दोस्तो इंटरनेट पर हर वेबसाइट का एक IP Address होता हैं, और जब हम अपने ब्राउज़र में किसी वेबसाइट का URL टाइप करते है, तो हमारा ब्राउज़र उस URL को DNS में बदल देता है, जिससे हम उस वेबसाइट तक पहुँच जाते है, जिसे हमने सर्च किया था।

आईये जानते है URL Ke Prakar –

Absolute URL: अगर हमें किसी वेबसाइट के Particular Web Page को सर्च करना होता है, तब हम Web Browser के Address Bar में URL को टाइप करते है, जिसे हम Absolute URL कहते हैं।

Relative URL: Relative URL का इस्तेमाल हम Absolute URL को छोटा करने के लिए करते है। ये हमेशा Web Page के अंदर ही किया जाता है ताकि URL की लम्बाई कम की जा सके।अब अंत मे ये भी जान लेते है कि URL Shortening तथा Secure URL Kya Hai?

अगर हम किसी Standard वेबसाइट के URL को Share करना चाहे तो, हमे बहुत दिक्कत होती है, क्योंकि यूआरएल काफी लंबे होते है। ऐसे में बहुत सी कंपनियां ऐसी भी है, जो वेबसाइट की यूआरएल को Shortening किये हुई है जिसे हम URL Shortening कहते हैं। जैसे t.co ये Twitter का Short Link है।

वो वेबसाइट जो https:// से शुरू होती है, ऐसे यूआरएल को Secure URL कहा जाता है।

 

URL में characters क्यूँ इस्तमाल नहीं होता

 

हम सभी को ये बात तो पता ही होगी की Space का इस्तमाल URL में नहीं होता. लेकिन ये बात भी हमें पता होनी चाहिए की RFC 1738 के मुताबिक URL के string में केवल Alphanumeric characters और दुसरे characters जैसे !,$,-,_,*,’,() का भी इस्तमाल होता है। और अगर किसी दुसरे characters का इस्तमाल किया जाये तब उसे encode करना पड़ता है.

Absolute versus Relative URLs

Absolute URL उन्हें कहते हैं जिसमे की mention किये गए सारे Sub string का इस्तमाल होता है. लेकिन कुछ cases में केवल कुछ या एक location element का इस्तमाल किया जाता है ऐसे URL को Relative URL कहते हैं. Relative URL का इस्तमाल Web Servers और Web Pages में होता है shortcut के रूप में ताकि URL Strings की लम्बाई को कम किया जा सके.

उदहारण के तोर पे एक ही website के link को Relative URL और Absolute URL के format में लिखा गया है.

Relative URL
<a href="/2016/September/word-of-the-day-04.htm">

equivalent Absolute URL
<a href="http://thebestsiteever.com/2016/September/word-of-the-day-04.htm">

इसमें सबसे अच्छी चीज़ जो होती है वो है की Web Server की मदद से automatically सारे missing protocol और Host Information भर जाते हैं. लेकिन ध्यान रहे की relative URL का इस्तमाल उन्ही जगहों में हो सकता है जहाँ की Host और Protocol Information पहले से Establish हो सके.

 

URL Shortening क्या है

 

अगर हम Standard URL किसी Modern Website की बात करें तब हमें पता चलेगा की ये बहुत ही लम्बी strings होती हैं. और ऐसी लम्बी URL की Strings को शेयर करना कितना ही difficult भरा काम है.

जिस कारण बहुत सी company ऐसे कई Online Translators बनाये हैं जिसके मदद से एक full (Absolute) URL को बहुत ही छोटा किया जा सकता है और जहाँ चाहे वहां इस्तमाल किया जा सकता है. ऐसे ही कुछ popular url shorteners हैं जैसे t.co (for Twitter) और lnkd.in (for LinkedIn).

इसके साथ साथ ऐसे बहुत से URL Shortening Services हैं जैसे bit.ly और goo.gl जिनकी मदद से दुनिया भर के लोग free में अपने URL को short कर रहे हैं. इसके साथ बहुत से URL Shortening Services click statistics भी ऑफर कर रहे हैं. और तो और कुछ तो malicious URL को भी suspicious Internet domain में check कर user को सूचित करते हैं.

 

Secure URLs क्या हैं

 

Secure URL वो websites हैं जो की https:// से शुरू होते हैं ऐसे website के URL को Secure Url कहा जाता है. जिसका मतलब है की अगर आप ऐसी website में अपने personal information भी enter करें तब भी ये Transmit होने के पहले encrypt हो जाता है और इसे पढ़ पाना किसी भी Hacker के पक्ष में इतना आसान नहीं है. अगर आपको details में जानना है तो SSL क्या है जरुर पढ़िए.

उसी कारण अगर कोई Website आपको आपकी निजी चीज़ों के बारे में पूछे जैसे की आपकी Banking details आदि तब सबसे पहले वह Secure URL है या नहीं पहले check करना न भूलें. और ऐसे website को कुछ Security Protocol का इस्तमाल करना चाहिए अपने URL में ताकि Consumer की information का गलत इस्तमाल न हो जाये. मेरी आपसे सलाह है की कोई भी personal information देने के पूर्व इन सभी बातों का खास ख्याल रखें.

मुझे लगता है अब तक आपको ये अच्छी तरह से समझ आ गया होगा की Sitemap कितना जरुरी है, अगर आपको चाहिए की आपके website की कोई भी page miss न हो तब आपको ये ख्याल रखना होगा की वो Crawlers कोई भी page miss न करें.

आप additional Metadata भी add कर सकते हैं जैसे की Change Frequency और Priority. इसका साथ आप Video और image के लिए भी Sitemap बना सकते हैं . और एक बार आपने Sitemap बना लिया तो उसे validate करना और Search Engines को notify करना न भूलें.

Conclusion

तो दोस्तों आपको मेरी यह लेख URL क्या है और कैसे काम करता है? पूरी जानकारी जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए, तब इसके लिए आप नीचे comments लिख सकते हैं.यदि आपको यह लेख पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.


 

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