CG Ram Bhajan Lyrics Geet 2024 – Kavita Vasnik
सम्पूर्ण नवधा रामायण
सुन्ना परगे रे – कविता वासनिक
छत्तीसगढ़ी रामायण भजन
- गीत – सुन्ना परगे रे
- गायिका – कविता वासनिक
- गीतकार –
- संगीत – उत्तम तिवारी
- प्रकार – छत्तीसगढ़ी रामायण भजन
- लेबल – सुन्दरानी
नई समझिस तिरिया के चरित्तर
दशरथ भोरहा खा गे
कोप भवन म बईठे कैकई
दू वरदान ला मांगे
स्थायी
सुन्ना परगे रे अवध हा सुन्ना होगे रे
बिना राम रघुराई अवध हा सुन्ना होगे रे
बिना राम रघुराई अवध हा सुन्ना होगे रे
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाई पर वचन ना जाई
अंतरा 1
राजा दशरथ वचन ला हारे दू वरदान ला दे के
भरत ला राज तिलक अउ राजा राम ला बन म भेजे
दुख के गठरी बोहे रे दाई के नैना रोवै रे
दुख के गठरी बोहे रे दाई के नैना रोवै रे
बिना राम रघुराई अवध हा सुन्ना होगे रे
अंतरा 2
कौशिल्या सुमित्रा के आंसू झरर झरर बोहागे
कैकई अउ कुबरी के चोला मगन मगन हो हांसे
राजा के मरना होगे रे दशरथ के मरना होगे रे
राजा के मरना होगे रे दशरथ के मरना होगे रे
बिना राम रघुराई अवध हा सुन्ना होगे रे
![CG Ram Bhajan Lyrics Geet 2024 - Kavita Vasnik](https://tejwiki.in/wp-content/uploads/2024/01/CG-Ram-bhajan.jpg)
कईसे नहकाओ डोंगा
केंवट के सुग्घर बानी हा मया म सनाए हे
जेला सुन के रामचन्द्र जी मंद मंद मुसकाए हे
स्थायी
कईसे नहकाओ डोंगा पार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
कईसे नहकाओ डोंगा पार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
बिना धोए मैं हा मानव नही हो
बिना धोए मैं हा मानव नही जादू भरे तार पांव
कईसे नहकाओ डोंगा पार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
कईसे नहकाओ डोंगा पार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
अंतरा 1
मांगी नाव न केवट आना ।
कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना।।
जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू।
मोहि पद पदमु पखारन कहहू।।
भैया केंवट तोर डोंगा ला इही डाहर लान
अउ हमला गंगा पार नहका दे गा
मैं हा आप ला अपन डोंगा म नई बईठार सकौ प्रभु
काबर के मैं हा जानत हंव आप के पांव लगे म
पखरा नारी बन जथे
इही डोंगा हा मोर परिवार के पालन पोषण करथे
अउ कहू ये डोंगा हा नारी बन जाही त अपन जिनगी कइसे चलाहूं
मोला अउ काही बुता नई आवै प्रभु
पांव परत पखरा नारी बनगे
गौतम नारी हा तर गे
इही चरण ले गंगा मईया हा निकले
कतको भव ले उबर गे
इही डोंगा हे निस्तार
इही डोंगा हे निस्तार
इही डोंगा हे निस्तार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
कईसे नहकाओ डोंगा पार मोर प्रभु जी
नई नहकाओ गंगा पार
अंतरा 2
तोर शरण म आ के स्वामी
तर गे कतको ऋषि मुनी ज्ञानी
महूं परे हंव तोर चरण म
लेले मोला अपन शरण म
हे प्रभु आप के गोड़ ला धोए के बाद
आप ला डोंगा म बईठा सकत हंव
अउ उतरइ म कहू नई लेवव
लक्ष्मण भैया भले मोला अपन बान ले मार दे
फेर जब तब आप मन के पांव ला नई पखारहूं
तब तक मैं हा गंगा पार नई नहकावव
आप ला राजा दशरथ के किरिया हे
हे भाई केंवट तोर जईसे मन लागे तैं वईसन कर
जा जल्दी पानी ला ले अउ हमर पांव ला पखार ले
हमला देरी होवत हे हमला बड़ दूर जाना हे
अंतरा 3
मैं तोर दास प्रभु स्वामी तैं मोरे
जिनगी ला हमरो उबारो
भव ले नैया पार लगा दौ
बिगड़ी हमरो संवारो
चोला के कर दे मोर उबार
चोला के कर दे मोर उबार
चोला के कर दे मोर उबार मोर प्रभु जी
तोला नहकाहूं डोंगा पार
तोला नहकाहूं गंगा पार मोर प्रभु जी
तोला नहकाहूं गंगा पार
धन हे मोर डोंगा म परे हो
धन हे मोर डोंगा म परे जादू भरे तोर पांव
तोला नहकाहूं डोंगा पार
तोला नहकाहूं गंगा पार मोर प्रभु जी
तोला नहकाहूं गंगा पार
तोला नहकाहूं डोंगा पार
तोला नहकाहूं गंगा पार मोर प्रभु जी
तोला नहकाहूं गंगा पार