Satellite क्या होता है? इसके कार्य और प्रकार की पूरी जानकारी (2024)

दोस्तों, आज हम बात करेंगे  Satellite क्या होता है? (What is Satellite in Hindi) यह सवाल अक्सर हमारे मन मे आता है जब भी कही इसकी चर्चा होती है बहुतों लोग जिन्हे लगता है की इंटरनेट सॅटॅलाइट के वजह से काम करता है जो की पूरी तरह सच नहीं है.आज कंप्युटर और टेक्नॉलजी के जामाने मे दुनिया बहुत ही तेजी से विकाश की सीढ़िया चड़ रहा है जिसमे Satellite का योगदान बहुत ज्यादा है.

आज हमे कही भी अनजान जगह जाना हो हम बिना किसी से पूछे दुनिया के किसी भी सहर मे घूम सकते है और यह मुमकिन है GPS Map की वजह से जो की एक तरह का Satellite है जो हमारे रियल लोकैशन को ट्रैक करता है.

इसके आलवे दुनिया मे ऐसे कई सुविधा है जो हम इंसानों को सॅटॅलाइट के वजह से मिल पाता है चाहे वह मौसम की जानकारी लेना हो या फिर घर बैठे केबल टीवी का लुफ़त उठाना यह सभी किसी ना किसी सॅटॅलाइट के वजह से मुमकिन हो पाता है.Satellite भी कई प्रकार के होते है जो अलग अलग ओरबिट मे पृथ्वी का चक्कर लगाते है ऐसे मे Satellite Kya Hai /सॅटॅलाइट क्या होता है और सॅटॅलाइट कितने प्रकार के होते है हम जानते है. 

Satellite क्या होता है? इसके कार्य और प्रकार की पूरी जानकारी (2022)
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Satellite Meaning In Hindi 

‘Satellite’ शब्द कृत्रिम उपग्रह के लिए प्रयुक्त होता है। Satellite Kya Hoti Hai सेटेलाइट मानवीय प्रयासों से निर्मित और स्थापित एक मशीन है, जिसे भिन्न-भिन्न प्रयोजन के लिए निर्मित किया गया और पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। इस मशीन को कृत्रिम उपग्रह की संज्ञा दी गई Satellite Kaise Kam Karta Hai कोई भी सेटेलाइट प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की भांति पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। जैसा कि आप Meaning Of Satellite In Hindi जान चुके है।

उपग्रह एक खगोलीय या कृत्रिम ऑब्जेक्ट है जो किसी ग्रह या तारे की परिक्रमा करता है जैसे चंद्रमा, पृथ्वी या कोई मशीन। चंद्रमा से प्रेरणा लेकर हमारे वैज्ञानिकों ने कृत्रिम उपग्रह बनाए। सैटेलाइट का उपयोग कहां कहां किया जाता है Satellite Ko Hindi Mein Kya Kahate Hain और सैटेलाइट का हिंदी अर्थ उपग्रह है। 

Satellite क्या होता है? (What is satellite) 

सैटेलाइट अपनी घूर्णन गति के कारण पृथ्वी की कक्षा में घूमती रहती हैं और गुरुत्वाकर्षण बल से अप्रभावित रहती हैं। गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकालने के लिए 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति की जरूरत होती है। यही कारण है की सेटेलाइट अंतरिक्ष में हवा में तैरती रहती है। यह जानने के बाद की सेटेलाइट क्या होता है, आप सब जिज्ञासु होंगे कि सैटेलाइट कैसे काम करता है तो आप को जिज्ञासा शांत करने के लिए हमारे लेख को पूरा पढ़ना होगा तभी आप सेटेलाइट की पूरी जानकारी से अवगत होंगे।

Satellite कैसे काम करता है (How satellite works) 

सैटेलाइट अलग-अलग कार्य प्रयोजन से बनायीं जाती है इसलिए इसकी कार्यप्रणाली में कुछ अंतर होता है। परंतु इनकी मूलभूत संरचना समान ही रहती है।

ज्यादातर सेटेलाइट में 2 मुख्य भाग होते हैं एक एंटीना और दूसरा ऊर्जा स्त्रोत। सेटेलाइट की ऊर्जा प्रबंधन के लिए इसके दोनों तरफ सोलर पैनल लगे होते है और एंटीना इंफॉर्मेशन भेजने और Receive करने का कार्य करता है।

NASA के ज्यादातर सैटेलाइट में कैमरा और साइंटिफिक सेंसर होते हैं, जो धरती के बड़े भू-भाग और अंतरिक्ष में होने वाली हलचल पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं। सेटेलाइट के बीच में ट्रांसमीटर और रिसीवर होते हैं, जो सिग्नल और कमांड को Receive करते और भेजते हैं।

मुख्यता सैटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए बनाए जाते हैं, क्योंकि यह पृथ्वी से दूर अधिक ऊंचाई पर होते हैं, अतः सेटेलाइट रेडियो और ग्राउंड वेब की तुलना में ज्यादा एरिया कवर करते हैं।

सेटेलाइट Broadcaster से सिग्नल Receive करती है, उन्हें प्रोसेस कर वापस भेजती है। जो तंरगे पृथ्वी से ऊपर जाती हैं उन्हें Uplink कहते हैं और जो Beam वापस आती है उसे Downlink कहते हैं। यह अंतरिक्ष में रॉकेट की मदद से Launch किए जाते हैं।

जब बात सेटेलाइट की जानकारी की हो और Satellite Ka Itihas न आए ऐसा संभव नहीं इस लेख में आगे हम History of Satellite in Hindi, सैटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं (Types of Satellite in Hindi), सैटेलाइट का उपयोग (Uses of Satellite in Hindi), भारत में कितने सेटेलाइट है जैसे रोचक तथ्यों से अवगत होंगे।

Satellite की जानकारी हिंदी में (Satellite information in Hindi) 

आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था, जिसे 19 अप्रैल 1975 को लाँच किया गया। भारत ने 1 अप्रैल 2019 को श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से AMISAT (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट) को PSLV-C40 लॉन्च व्हीकल की मदद से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया यह ISRO और DRDO के द्वारा मिलकर बनाया गया है।

Satellite ऊपर हवा में कैसे टिके रहते हैं ? (How do satellites stay in the air above) 

तो इसके लिए बहुत simple नियम है। जैसे – अगर किसी चीज को अंतरिक्ष में रहना है तो उसे अपनी एक गति से किसी बड़े object का चक्कर लगाते रहना होगा। इनकी speed पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को अपने ऊपर हॉबी नहीं होने देती। तो इस नियम के चलते ही सारे उपग्रह हवा में टिके रहते हैं।

सेटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं (Types of satellite in Hindi) 

बात करें satellite के प्रकार की तो सेटेलाइट के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं.

Low Earth orbit satellite
Medium Earth orbit satellite
High Earth orbit satellite
तो चलिए अब हम आपको इन सेटेलाइट के प्रकार (Types of satellite in Hindi) के बारे में विस्तार से बताते हैं. 

1. Low Earth orbit satellite in Hindi 

अगर पृथ्वी कि तस्वीर के खींचनी हो या फिर पृथ्वी के किस भाग को स्कैन करना हो तो ऐसे में low earth orbit satellite का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह पृथ्वी से नजदीक होते हैं, इसीलिए वह ज्यादा अच्छे तरीके से पृथ्वी की image ले सकते हैं और scan भी कर सकते हैं.

पृथ्वी की कक्षा से ज्यादा नजदीक होने की वजह से इन सैटेलाइट को पृथ्वी का चक्कर लगाने में कम समय लगता है. इसीलिए यह बाकी सेटेलाइट के मुकाबले पृथ्वी के ज्यादा चक्कर लगा सकते हैं. सेटेलाइट, जितना पृथ्वी से ज्यादा अधिक होगी उतना ही कम समय में पृथ्वी का चक्कर लगाने में लगता है. इस प्रकार के सेटेलाइट पृथ्वी के ऊपर 160 किलोमीटर से लेकर 1600 तक होते हैं. 

2. Medium Earth orbit satellite in Hindi 

इस प्रकार के सेटेलाइट पृथ्वी की सतह से 10000 किलोमीटर से लेकर 20000 किलोमीटर तक ऊंचाई पर होते हैं. इस प्रकार की सेटेलाइट का उपयोग navigation के लिए किया जाता है. मतलब कि हम GPS का उपयोग करते हैं वह इन्ही प्रकार की satellites की वजह से संभव हो पाता है. और आपको बता दें कि इस तरह के सेटेलाइट कि speed धीमी या फिर तेज हो सकती है. और ये सेटेलाइट के काम पर निर्भर करता है. 

3. High Earth orbit satellite in Hindi 

Low और medium earth orbit satellite की तुलना में high earth orbit satellite पृथ्वी की सतह से काफी ऊपर होता हैं लगभग 35000 किलोमीटर की ऊंचाई पर होता है. और इस प्रकार की सेटेलाइट का उपयोग हम कम्युनिकेशन के लिए करते हैं.

आपको बता दें कि इस तरह के सेटेलाइट कि speed पृथ्वी की speed जितनी होती है. मतलब कि पृथ्वी जितनी तेजी से घूमती है, यह सेटेलाइट भी उतनी ही तेजी से पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं. यह गति तो कहते हैं पर इसे सही तरीके से समझा जाए तो यह जिस जगह पर होते हैं यह वही पर ही रहते हैं. क्योंकि पृथ्वी और सेटेलाइट दोनों एक समान गति मैं है.

तो यह है satellite के प्रकार. तो अब आपको पता चल गया होगा कि सेटेलाइट का अर्थ क्या होता है (satellite meaning in Hindi), सेटेलाइट क्या है, what is satellite in Hindi, सैटेलाइट कैसे काम करता है और सेटेलाइट कितने प्रकार के होते हैं

Satellites का उपयोग कहां-कहां किया जाता है? (Where are satellites used)

सैटेलाइट्स का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:

  • सैटेलाइट्स का इस्तेमाल tv signals को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है. बिना सैटेलाइट टीवी सिग्नल एक ही दिशा में travel कर सकते हैं और इमारतों और पेड़ों से बाधित हो सकते हैं.
  • मोबाइल कम्युनिकेशन के लिए भी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे स्थान जहां वायर पहुंचना संभव नहीं है, वहां satellites के जरिए आसानी से phone signals भेजे जा सकते हैं.
  • Navigation के लिए satellites का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए Global Positioning System (GPS). जिसका इस्तेमाल mobile phones और कार में location पता करने के लिए किया जाता है.
  • मौसम वैज्ञानिक, मौसम का पता लगाने के लिए सैटेलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं. जो उन्हें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बारिश, तूफान इत्यादि के बारे में पहले ही जानकारी दे देते हैं.
  • जलवायु और पर्यावरण की निगरानी के लिए satellites का इस्तेमाल किया जाता है. इन सैटेलाइट्स की मदद से समुद्र, ग्लेशियर इत्यादि पर नजर रखी जा सकती है. इसके साथ ही सैटेलाइट के जरिए वैज्ञानिक वर्षा, वनस्पति आवरण और ग्रीन हाउस उत्सर्जन के लॉन्ग टर्म पैटर्न को निर्धारित कर सकते हैं.
  • Earth Observation Satellites के जरिए समुद्र और हवा की लहरों पर नजर रखी जा सकती है. साथ ही जंगली आग, तेल रिसाव और वायु जनित प्रदूषण के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.
  • सैन्य कार्यों के लिए भी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है जो दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रख सकता है और उनके सैन्य ठिकानों का पता लगा सकता है.
  • दूर स्थित ग्रह, ब्रह्मांड या अन्य अंतरिक्ष संबंधी चीजों का पता लगाने के लिए सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है.
  • सैटेलाइट्स के जरिए भूमिगत पानी और खनिज स्त्रोतों का पता लगाया जा सकता है. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर फैले बुनियादी ढांचे की निगरानी की जा सकती है, जैसे oil pipelines जिनमें रिसाव का पता लगाना है.

Satellites इतने महत्वपूर्ण क्यों है? (Why are satellites so important)

Satellites किसी पक्षी की तरह धरती या दूसरे ग्रह के बड़े क्षेत्रों को एक बार में देख सकते हैं. यानी की satellites धरती पर मौजूद उपकरणों की बजाय अधिक और तुरंत डेटा एकत्रित कर सकते हैं. पृथ्वी से देखे जाने वाले किसी telescope की तुलना में satellite के जरिए अंतरिक्ष को बेहतर तरीके से देखा जा सकता है. क्योंकि satellite बादलों और वातावरण में मौजूद dust और molecules से ऊपर उड़ते हैं जो पृथ्वी से देखने पर बाधा बनते हैं.

सैटेलाइट के आने से पहले signals को दूर तक भेजना संभव नहीं था. क्योंकि टीवी सिग्नल्स केवल एक सीधी रेखा में ट्रेवल कर सकते थे. इसलिए ये signals अंतरिक्ष में फीके पड़ जाते थे बजाय पृथ्वी के वक्र (curve) को फॉलो करने के. साथ ही कभी-कभी पहाड़ और उंची इमारतें इन्हें ब्लॉक कर देती थी. दूर स्थित इलाकों में phone calls में भी दिक्कत होती थी. लंबी दूरी तक और पानी के नीचे telephone तार बिछाना मुश्किल और महंगा पड़ता था. अब सैटेलाइट के साथ Tv signals और phone calls को ऊपर satellite तक भेजा जाता है और फिर लगभग उसी समय सैटेलाइट इन signals को पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर भेज सकता है.

Conclusion

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